ये भी पढ़ेः Kartik mass 2024 Date : जानें कब शुरू हो रहा है कार्तिक महीना और क्या है इसका महत्व History of valmiki: वाल्मीकि ऋषि का इतिहास
ऋषि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी। वाल्मीकि जयंती के शुभ अवसर पर जगह- जगह झांकी निकाली जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पहले वाल्मीकि जी डाकू थे और वन में आने वाले लोगों को लूट कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे।
एक बार जंगल से गुज़र रहे नारद मुनि से रत्नाकर ने लूटने की कोशिश की, तो नारद मुनि ने उनसे पूछा कि वे ऐसा क्यों करते हैं? रत्नाकर ने बताया कि वे यह सब अपने परिवार के लिए करते हैं। नारद मुनि ने पूछा कि क्या उनका परिवार उनके पापों का फल भोगने के लिए तैयार है। रत्नाकर ने परिवार से पूछा, तो सभी सदस्यों ने मना कर दिया।
इस घटना के बाद रत्नाकर ने सभी गलत काम छोड़ दिए और राम नाम का जाप करने लगे। कई सालों तक कठोर तप के बाद उनके शरीर पर दीमकों ने बांबी बना ली, इसी वजह से उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। वाल्मीकि, जिन्हें रत्नाकर के नाम से भी जाना जाता था य़ह एक साधारण मानव भी थे, जिन्होंने अपने जीवन के अनुभवों से एक महान परिवर्तन की यात्रा की। एक साधु के उपदेश से प्रेरित होकर, वह भक्ति और ज्ञान की ओर लौटे।
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वंगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकं वधीः काममोहितम्॥
महर्षि वाल्मीकि के जीवन के ये हैं 5 सूत्र
1. तुम जो पाप करते हो, इसका फल तुम्हें ही भोगना होगा। तब उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। 2. उन्होनें कहा कि हमें अपने कर्म अच्छे करते रहना चाहिए। किसी भी तरह का व्यभिचार और पाप से हमेशा बचना चाहिए। 3. उन्होनें यह भी कहा कि हमें अपनें हौसले को कठिन परिस्थितियों में कभी भी नही गिराना चाहिए।
4. हमारे साथ कोई भी विपरीत परिस्थिति हो अपनी बुद्धि और विवेक से काम करना चाहिए। 5. वाल्मीकि ने श्रीराम के जीवन पर आधारित पवित्र संस्कृत महाकाव्य रामायण लिखी, जो इनकी कालजयी कृति है। हमें भी अपने जीवन में कुछ ऐसा करना चाहिए।
ये भी पढ़ेः Vastu Tips for Home: 6 चीजें जो घर में दरिद्रता लाती हैं दिवाली से पहले इन्हे जरूर हटाएं क्यों मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती?
वाल्मीकि जयंती महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, जो जिन्हें भारतीय पौराणिक साहित्य में रामायण के रचनाकार के रूप में जाना जाता है। इस पर्व के मनाने के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
वाल्मीकि ने रामायण की रचना की, जो न केवल हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, बल्कि भारतीय संस्कृति और साहित्य का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनकी रचनाएं जीवन के मूल्य, धर्म, और नैतिकता का पालन करने की प्रेरणा देती हैं। इसी प्रकार भारतीय समाज में सांस्कृतिक और धार्मिक जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसे मनाने से वाल्मीकि की शिक्षाओं और उनके जीवन के आदर्शों को सराहा जा सकता है। समानता और परिवर्तन का प्रतीक वाल्मीकि की कहानी, जो एक डाकू से महर्षि बनने की है, आज भी समाज में बदलाव और सुधार की प्रेरणा देती है।
यह संदेश देती है कि कोई भी व्यक्ति अपने कर्मों और प्रयासों से अपनी पहचान और स्थिति बदल सकता है। यह पर्व विभिन्न जातियों और धर्मों के बीच एकता का प्रतीक है और इसे सभी सामाजिक वर्गों द्वारा मनाया जाता है, जिससे एकजुटता की भावना बढ़ती है। इस प्रकार, वाल्मीकि जयंती एक प्रेरणा देने वाला पर्व है, जो न केवल महर्षि वाल्मीकि की महिमा को बढ़ाता है, बल्कि उनके द्वारा प्रस्तुत मूल्यों और शिक्षाओं पर भी प्रकाश डालता है।