भगवान विष्णु का अतिप्रिय कार्तिक माह की पूर्णिमा (Kartik Purnima) को ही देव दीपावली का पर्व आता है। माना जाता है कि कार्तिक मास में ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। जानें कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त व महत्व-
पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी, जो कि 08 नवंबर को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त शाम 04 बजकर 31 मिनट तक है। दान करने का शुभ समय 8 नवंबर को सूर्यास्त से पहले तक है।
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध से प्रसन्न होकर देवताओं ने काशी में दिये जलाए थे। इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर नदी में स्नान का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग से देवता भी आकर गंगा में स्नान करते हैं। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। अगर आपका गंगा स्नान के लिए जाना संभव नहीं है तो घर पर ही पवित्र जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
माना जाता है कि कार्तिक माह में भगवान विष्णु का जल में वास होता है। मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) पर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन के तमाम पाप कर्म धुल जाते हैं। साथ ही श्रीहरि विष्णु की कृपा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे दैहिक, दैविक और भौतिक ताप दूर होते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima ) के दिन कैसे करें दीपदान-
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन प्रदोष काल में किसी नदी या तालाब में दीपदान करने का विशेष महत्व है। इस दिन किसी नदी या तालाब में दीपक प्रज्वलित करना चाहिए माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीप दान करने से घर में खुशहाली व सुख-समृद्धि आती है।
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) पर प्रदोषकाल में नदी या तालाब में दीपदान का विशेष महत्व है। वहीं शाम के समय दीप प्रज्वलित कर नदी-तालाब में मंत्र का जाप करते हुए प्रवाहित करना चाहिए
मंत्र – ‘कीटाः पतंगा मशकाश्च वृक्षे जले स्थले ये विचरन्ति जीवाः, दृष्ट्वा प्रदीपं नहि जन्मभागिनस्ते मुक्तरूपा हि भवति तत्र’। माना जाता है इस तरह से दीपदान करने पर अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और घर में समृद्धि आती है।
हरि-हर की पूजा
पूर्णिमा तिथि श्रीहरि भगवान विष्णु को समर्पित है, ऐसे में जहां कार्तिक की पूर्णिमा (Kartik Purnima) पर सुबह विष्णु के मत्स्य रूप को तुलसी दल चढ़ानी चाहिए और सत्यनारायण की कथा सुननी चाहिए। वहीं इसी दिन भगवान भोलेनाथ के त्रिपुरारी स्वरूप का पंचामृत से अभिषेक करने के अलावा देवी लक्ष्मी को खीर का भोग और मां तुलसी के निमित्त घी का दीपक लगाकर पूजन करना चाहिए।
दान
पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन अन्न, गर्म कपड़े, जूते-चप्पल दान करने के संबंध में माना जाता है कि इससे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। कर्ज से छुटकारा मिलने के साथ ही धन लाभ के योग भी बनते हैं।
छह तपस्विनी कृतिका पूजन
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima ) पर चांद निकलने के बाद कार्तिक स्वामी की छह माताएं प्रीति, संतति, क्षमा, अनसूया, शिवा, सम्भूति, इन छह तपस्विनी कृतिकाओं की भी पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य, बल, धैर्य, अन्न में वृद्धि होती है।