1. नवरात्रि की सप्तमी तिथि को सुबह स्ना ध्यान से निवृत्त होकर मां कालरात्रि को रोली, अक्षत चढ़ाएं।
2. इसके साथ ही माता को रातरानी के फूल चढ़ाएं, इनके सामने दीप, धूप जलाएं।
3. फिर माता को गुड़ का भोग लगाएं और उनकी आरती करें।
4. इसके साथ ही लाल कंबल के आसन पर लाल चंदन की माला से मां कालरात्रि के मंत्र पढ़ें, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
5. लाला चंदन की माला न हो तो रूद्राक्ष की माला से जाप कर सकते हैं।
मां कालरात्रि की पूजा का मंत्र
1. ॐ कालरात्र्यै नम:।
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2. एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥ 3. ॐ यदि चापि वरो देयस्त्वयास्माकं महेश्वरि।।
संस्मृता संस्मृता त्वं नो हिंसेथाः परमाऽऽपदः ॐ। 4. हवन में घृत, गुग्गल, जायफलादि की आहुति देते समय यह मंत्र पढ़ें
तस्य वित्तीर्द्धविभवै: धनदारादि समप्दाम् ऐं ॐ।
– ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।