scriptइन उपायों को अपनाकर बन सकता है शीघ्र विवाह का योग | Jyotish remedies for quick marriage in hindu shashtra | Patrika News
धर्म-कर्म

इन उपायों को अपनाकर बन सकता है शीघ्र विवाह का योग

विवाह के काल निर्धारण के साथ ससुराल की दिशा एवं दूरी का भी ज्ञान कुंडली के आधार पर किया जा सकता है।

Apr 09, 2021 / 02:42 pm

सुनील शर्मा

Marriage news

GROUP MARRIAGE : 24 हिन्दु-मुस्लिम युगल एक साथ बंधेंगे विवाह सूत्र में

आम कहावत है कि जोड़े स्वर्ग से तय होकर आते हैं और उनका मिलन पृथ्वी पर निर्धारित समय में विवाह संस्कार से होता है। यानी कि सब कुछ विधि विधान के अनुसार तय होने के बावजूद जब बेटी की उम्र 20-21 के पार हो जाती है तो माता-पिता की चिंताएं बढऩे लगती है। आजकल लडक़े-लड़कियों की शादी में विलंब हो जाता है। जिस कारण दिन-रात परिजनों को यही सवाल सामने आता है कि हमारी लाडली या लाडले के हाथ पीले कब होंगे।
यह भी देखें : मंगलवार है हनुमान जी का दिन, जानिये कैसे करें प्रसन्न और पाएं मनचाहा आशीर्वाद

यह भी देखें : रुद्राक्ष एक चमत्कार : जानें इसके प्रकार और महत्व

विलंब के हैं कई कारण
लडक़ा और लडक़ी उच्च शिक्षा पाने या अच्छा कॅरियर बनाने के चक्कर में अधिक उम्र के हो जाते हैं। वहीं लड़कियों के प्रति बढ़ती असुरक्षा की भावना को देखते हुए भी माता-पिता चाहते हैं कि बेटी समझदार हो जाए या अच्छी पढ़-लिख जाए तभी शादी करेंगे। ये ऐसे कारण हैं जिनसे विवाह में विलंब होता है। ऐसे में विवाह कब होगा, इसके अनेकानेक शुद्ध शास्त्रीय ग्रंथों में उल्लेखित है कि विवाह काल निर्धारण से पूर्व यह निश्चित करना जरूरी है कि विवाह की संभावना कितनी है क्योंकि उसी स्थिति में शेष प्रक्रिया का महत्त्व होता है।
कुंडली का शोध कार्य है जरूरी
विवाह के संबंध में कुंडली का शोध कार्य जरूरी होता है। मुख्य रूप में देखा जाए तो विवाह की अवस्था में जब शनि और बृहस्पति दोनों सप्तम भाव और लगन को देखते हो या गोचरवश इन भावों में आ जाए तो उस अवधि में विवाह होता है। सप्तमेश की दशा अंतर्दशा भी विवाह के लिए उपयुक्त समय है। शुक्रऔर बृहस्पति की दशा अंतर्दशा भी विवाह आदि में सुख प्रदान करती है। विवाह का समय ज्ञात करने के लिए गोचर पद्धति अधिक प्रभावी होती है। गोचर पद्धति द्वारा विवाह का समय ज्ञात करने के लिए शुक्र लग्नेश सप्तमेश तथा गुरु के गोचर पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसी प्रकार विवाह के काल निर्धारण के साथ ससुराल की दिशा एवं दूरी का भी ज्ञान कुंडली के आधार पर किया जा सकता है। दिशा और दूरी के ज्ञान से अपने लडक़े या लडक़ी के विवाह योग्य होने पर उसी दिशा या दूरी पर प्रयास करने से थोड़ी सहायता मिलती है। अत: दिशा और दूरी का ज्ञान होना चाहिए।
इन उपायों से बनते हैं शीघ्र विवाह के योग
– लग्नेश जब गोचर में सप्तम भाव की राशि में आता है तो ही विवाह संभव होता है।
– शुक्र सप्तमेश के साथ हो तो सप्तमेश की दशा अंतर्दशा होती है जिससे विवाह योग बनता है।
– सब कुछ ठीक होते हुए भी विवाह होने में बाधाएं आए तो लड़कियां मंगल स्त्रोत, पार्वती मंगल का पाठ करें, कात्यायनी का जप करना भी लाभदायक होता है।
– स्त्रियों के विवाह में देरी का कारण उनकी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी तथा उसी भाव का कारक अर्थात बृहस्पति पाप ग्रहों की युति अथवा दृष्टि द्वारा निर्मल पाया जाए तो इन तीनों अंगों में बृहस्पति का विशेष महत्त्व है। अत: पुखराज रत्न सलाह पर धारण कर सकते हैं। जिससे शीघ्र विवाह हो।
– पुरुषों की कुंडली में शुक्र का बलवान या शुभ स्थिति में होना आवश्यक है। पुरुषों के विवाह में देरी का कारण उनकी कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी तथा उसी भाव का कारक अर्थात शुक्र पाप ग्रहों की युति अथवा दृष्टि द्वारा निर्बल पाया जाए तो इन तीनों अंगों में पूर्व जातक के लिए शुक्र का विशेष महत्त्व है। अत: ज्योतिषी की सलाह से हीरा रत्न धारण कर सकते हैं।
– अन्य उपाय भी किसी भी ज्योतिषी की सलाह पर करने से लाडले या लाडली का विवाह जल्दी संभव है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / इन उपायों को अपनाकर बन सकता है शीघ्र विवाह का योग

ट्रेंडिंग वीडियो