जया पार्वती व्रत का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जया पार्वती व्रत देवी जया की कृपा पाने के लिए किया जाता है, जो देवी पार्वती का ही एक स्वरूप हैं। इस व्रत को विजय पार्वती व्रत भी कहा जाता है और विशेष रूप से मालवा क्षेत्र (गुजरात) में लोकप्रिय है। मान्यता के अनुसार अगर कोई इस व्रत को रखता है तो यह व्रत 5, 7, 9, 11 या 20 वर्षों तक रखना चाहिए। यह भी माना जाता है कि जया पार्वती व्रत को कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की कामना और सुख-शांति और प्रेम पूर्ण वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। मान्यता है कि जो भक्त इस व्रत को पूरी आस्था और श्रद्धा से रखता है उसे भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही उनकी सभी इच्छाएं पूरा होती हैं। लेकिन इसके लिए व्रत को इन नियमों के साथ संपन्न करना चाहिए।
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- आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि यानी जया पार्वती व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर पूजा स्थान की साफ-सफाई करें।
- अब जया पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करें। साथ ही घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
- भगवान शिव और देवी पार्वती को कुमकुम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल आदि अर्पित करके पूजा की शुरुआत करें।
- नारियल, अनार और पूजा की अन्य सामग्री चढ़ाएं और षोडशोपचार पूजा करें।
- भोले शंकर और पार्वती जी का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।
- शिव-पार्वती की मंगल स्तुति करें और फिर जया पार्वती व्रत की कथा पढ़ें।
- पूजा पूरी होने के बाद व्रत का संकल्प करें और जया पार्वती व्रत का पारण करते हुए सबसे पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं, उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, दान-दक्षिणा दें।
- आप सात्विक और दूध से बने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- व्रत के अंतिम दिन व्रत का उद्यापन गेहूं की रोटी और अन्य पकवान के साथ कर सकते हैं।
जया पार्वती व्रत के नियम
- जया पार्वती व्रत निरंतर 5 दिनों तक जारी रहता है और इस दौरान नमक का इस्तेमाल करना पूर्ण रूप से वर्जित होता है।
- व्रती फल, दूध, दही, जूस और दूध से बनी मिठाइयों का सेवन कर सकते हैं।
- पौरणिक मान्यताओं के अनुसार जया पार्वती व्रत के 5 दिन की अवधि में कुछ लोग अनाज समेत सभी तरह की सब्जियों का प्रयोग करने से परहेज करते हैं।
- एक बार जया पार्वती व्रत करने पर इस व्रत को लगातार पांच, सात, नौ, ग्यारह या अधिकतम बीस वर्षों तक करने का विधान है।