जानकारों के अनुसार होलिका दहन (Holika Dahan) के धुएं से प्रकृति में होने वाली समस्त शुभाशुभ फल की जानकारी प्राप्त होती है। पहले समाज में लोग वर्ष में होने वाले प्राकृतिक आपदा विपदा और शुभता की जानकारी होलिका दहन की रात धुएं से प्राप्त करते थे जो आज भी मान्य है।
: होलिका दहन (Holika Dahan) के दौरान यदि उसकी लौ ऊपर आसमान की तरफ उठे और निकलने वाली धुआं सीधा आकाश की ओर जाने लग जाए तो समझ जाइए कि यह बदलाव का संकेत है। यह संकेत देता है कि सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े और पॉजिटिव बदलाव देखने को मिलते हैं।
ऐसा होने पर झगड़े और विवाद बढ़ते हैं। युद्ध-अशांति के चांस बढ़ जाते हैं। बस न्यायिक मामलों में ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। इसके अलावा ऐसे में राज्य की सत्ता भंग होने व जन विद्रोह की संभावना पर भी विचार किया जाता है।
सूर्यास्त के बाद करें होलिका दहन (Holika Dahan after sunset) –
जानकारों के अनुसार होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन दोपहर 1 बजकर 33 मिनट तक भद्रा रहेगी। इसलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाएगा। दरअसल भद्रा को विघ्नकारक माना गया है। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। होलिका दहन (Holika Dahan) फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 28 मार्च को उत्तरफाल्गुन नक्षत्र में रविवार को सूर्यास्त से लेकर निशामुख रात 12 बजकर 40 मिनट तक जलाई जाएगी। इसके अलावा रात 07 बजकर 40 मिनट तक होलिका दहन का विशेष मुहूर्त है।
होलिका दहन (Holika Dahan) में ना जलाएं ये लकड़ियां…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार होलिका दहन (Holika Dahan) में लकड़ियों को जलाया जाता है। ऐसे में कछ लकड़ियों का इस्तेमाल वर्जित माना गया है, ऐसे में यदिर आप इन लकड़ियों को जलाते हैं तो यह काफी अशुभ माना जाता है।
दरअसल राहु-केतु से संबंधित कुछ पेड़ों को बुराई का प्रतीक माना जाता है, इसलिए होलिका दहन में इन पेड़ों की लकड़ियों को जलाना चाहिए।
: होलिका दहन के दिन एरंड और गूलर की लकड़ी का इस्तेमाल करने के साथ ही इस दिन गाय के उपले इस्तेमाल किए जाने चाहिए।
: इस मौसम में एरंड और गूलर के पत्ते झड़ने लगते हैं ऐसे में अगर इन्हें जलाया ना जाए तो इनमें कीड़ा लगने लगता है।
: माना जाता है कि एरंड और गूलर की लकड़ी का यह खासियत है कि इसे जलाने से हवा शुद्ध होती है और मच्छर, बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। इन दोनों लकड़ियों को गाय के उपले के साथ जलाना चाहिए।
: होलिका दहन में आम की लकड़ी को नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करना काफी अशुभ माना जाता है।
: होलिका दहन में वट की लकड़ी जलाना भी अशुभ माना जाता है, ऐसे में होलिका दहन में इन चारों पेड़ों की लकड़ी जलाने से परहेज करना चाहिए।