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एक ओर होली के दिन जहां पूरा देश रंग और गुलाल से सराबोर होता है वहीं बाबा विश्वनाथ की नगर काशी बनारस में रंगों से नहीं शमशान की राख से होली खेली जाती है। बनारस के मणिकर्णिका घाट पर भगवान शिव के भक्त श्मशान की राख से होली खेलते हैं इस दौरान वो एक दूसरे पर चिता की राख फेंकते हैं, जिसे चिता भस्म की होली कहा जाता है। कहा जाता है कि मां पार्वती के लौट आने पर भगवान शिव ने चिता की राख के साथ होली खेली थी, तभी से भगवान शिव के अनन्य भक्त चिता की राख से होली खेलते हैं।
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होली के दिन चिता भस्म होली की शुरूआत श्मशान घाट का देवता महाशमशानाथ की प्रार्थना से शुरू होती है और भक्त ढोल नगाड़ों के साथ श्मशान घाट की राख से होली खेलते हैं। इस अनोखी होली को देखने के लिए देश-विदेश श्रद्धालु काशी में आते हैं।
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ऐसी मान्यता है कि इस होली को खेलने से महादेव शिव की कृपा से मनुष्यों के जन्म जन्मांतरों के पापों से मुक्ति मिल जाती एवं अनेक भौतिक, आध्यात्मिक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
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