बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे कि हनुमान जी की पूजा में कभी भी चरणामृत का प्रयोग नहीं किया जाता है। हनुमान जयंती पर हनुमान जी को भूलकर भी चरणामृत का स्नान नहीं कराना चाहिए। उनकी पूजा में चरणामृत चढ़ाने का विधान ही नहीं है।
हनुमान जी की पूजा के दौरान या पूजा वाले दिन भूलकर भी काले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। वरना इसके बहुत ही अशुभ परिणाम हो सकते हैं। हनुमान जी की पूजा केवल और केवल लाल रंग के वस्त्र पहनकर ही की जानी चाहिए।
सूतक काल में न करें पूजा
हनुमान जी की पूजा कभी भी सूतक काल में नहीं करनी चाहिए। सूतक काल से अर्थ केवल सूर्य या चंद्र ग्रहण के 12 घंटे पहले लगने वाला सूतक ही नहीं है, बल्कि घर में कसी की मृत्यु हो जाए, तो 13 दिन का समय भी सूतक काल में आता है। ऐसे में घर में सूतक के इस समय में भूलकर भी हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
हनुमान जयंती के दिन स्त्रियों को छूने या उनके स्पर्श से बचना चाहिए। यानी इस दिन ब्रह्मचर्य का सख्ती से पालन करना चाहिए। माना जाता है कि भगवान हनुमान स्वयं स्त्रियों के स्पर्श से बचते थे। अगर कोई महिला घर के मंदिर में पूजा कर रही है तो, उसे भूलकर भी हनुमान जी की प्रतिमा नहीं छूनी चाहिए।
टूटी या खंडित प्रतिमा का इस्तेमाल
हनुमान जयंती पर पूजा के लिए बजरंगबली की टूटी हुई या खंडित प्रतिमा का प्रयोग भूलकर भी न करें। यदि आपके घर के मंदिर में बजरंगबली की ऐसी कोई प्रतिमा है तो उसे फौरन हटा दें। बेहतर होगा कि ऐसी प्रतिमा को आप जल प्रवाहित कर दें और नई प्रतिमा रखें।
नमक से करें परहेज
हनुमान जयंती के दिन आपको नमक के सेवन से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा, आपको उन चीजों के प्रयोग से भी बचना चाहिए, जो आपने हनुमान जयंती के दिन दान में दी हैं। हनुमान जयंती का उपवास रखने वालों को दिन में बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए।
मांस मदिरा का सेवन न करें
हनुमान जयंती के दिन मांस-मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। क्रोध में किसी को भी अपशब्द न करें और न ही किसी का अपमान करें।