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1- सूर्य ग्रह- सिंह राशि में 22वें वर्ष में अपना प्रभाव दिखाता है।
2- चंद्र ग्रह- कर्क राशि में 24वें वर्ष में अपना प्रभाव दिखाता है।
3- मंगल ग्रह- मेष / वृश्चिक राशि में 28वें वर्ष में अपना प्रभाव दिखाता है।
4- शुक्र ग्रह- वृषभ /तुला राशि में 25वें वर्ष या विवाह के बाद अपना प्रभाव दिखाता है।
5- बुध ग्रह- मिथुन / कन्या राशि में 32वें वर्ष में अपना प्रभाव दिखाता है।
6- गुरु ग्रह- धनु / मीन राशि में 16वें वर्ष में अपना प्रभाव दिखाता है।
7- शनि ग्रह- मकर / कुम्भ राशि में 36वें वर्ष में अपना प्रभाव दिखाता है।
8- यदि किसी की कुंडली के नवें भाव पर राहु-केतु का प्रभाव हो तो क्रमश: 42वें व 44वें वर्ष में भाग्योदय होता है।
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ग्रहों के अनुसार भाग्योदय के वर्ष जानकर यदि उन वर्षों में विशेष कार्यों की शुरुआत की जाए, तो सफलता जरूर मिलेगी। इसके साथ ही नवम भाव के स्वामी ग्रहों को शुभ व बलवान रखने के उपाय भी किए जा सकते हैं। इन ग्रहों की दशान्तर्दशा व प्रत्यंतर भी विशेष फलदायक होते हैं।
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उधाहरण के तौर पर मेष, लग्न हेतु नवें भाव में धनु राशि आती है। धनु राशि का स्वामी गुरु है। गुरु का भाग्योदय वर्ष 16 वर्ष माना जाता है। अर्थात व्यक्ति को पहला अवसर 16वें वर्ष में मिलेगा। इसके बाद क्रमश: 32वें, 48वें, 64वें वर्ष में परिवर्तन अवश्य आएंगे। यदि गुरु शुभ स्थिति में हो तो शुभता बढ़ेगी, अशुभ होने पर गुरु गायत्री मंत्र का जप, सूर्य मंत्र एवं महामृत्युजंय मंत्र का जप नियमित करते रहना चाहिए।
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