ऐसे में जहां कुछ पंडितों व ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि इस बार गोवर्धन पूजा 27 अक्टूबर को ही मनाना उचित होगा। इसका कारण यह है कि भले ही सूर्य ग्रहण का सूतक काल मंगलवार सुबह से ही शुरू हो जाएगा और शाम 6 बजे के बाद तक रहेगा।
लेकिन तिथि के आधार पर देखें तो प्रतिपदा तिथि 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 से मिनट से शुरु होगी, जो बुधवार, 26 अक्टूबर की दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगी, जिसके चलते इस तिथि को ग्रहण तिथि मानते हुए इस दिन गोवर्धन पूजा नहीं की जा सकेगी। क्योंकि किसी भी तिथि का प्रभाव पूरे दिन माना जाता है।
वहीं अधिकांश पंडित व जानकारों का मानना है कि 26 अक्टूबर को भी गोवर्धन पूजा की जा सकती है। उनका तर्क यह है कि उदया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर 2022 को मनाई जा सकती है। वहीं भले ही ग्रहण इस तिथि में आ रहा हो, लेकिन तिथि की शुरुआत चूंकि उदया तिथि से मानी जाती है ऐसे में बुधवार, 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा की जा सकती है।
26 अक्टूबर की बात करें तो अधिकतर जानकारों की नजर में यह दिन गोवर्धन पूजा के लिए उचित है। ऐसे में इस दिन गोवर्धन पूजा का सुबह का मुहूर्त 6 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। यह अवधि 2 घंटा 14 मिनट है। वहीं इसके बाद गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर की शाम को भी की जा सकती है, शाम का शुभ मुहूर्त 06:39 मिनट से रात 08:20 मिनट तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा के संबंध में वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है। इसके लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए।
1. गोवर्धन पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजा लें।
2. इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।
3. गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाते हुए विधि विधान से पूजा करें।
4. गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं, नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं।
5. पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनका जयकारा बोलें। परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करें।
6. भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन भगवान को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है। भगवान श्री कृष्ण की आरती करें।
इसलिए की जाती है गोवर्धन पूजा
प्रकृति को समर्पित त्योहार है गोवर्धन पूजा… मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था और गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली (सबसे छोटी उंगुली) पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की जान बचाई थी और लोगों को प्रकृति की सेवा और पूजा करने का संदेश दिया था। ये दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था। तब से इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और भगवान को सभी तरह की मौसमी सब्जियों से तैयार अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।