ज्येष्ठ गायत्री जयंती 17 जून को
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभः 17 जून 2024 को सोमवार सुबह 04:43 बजेज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि समापनः 18 जून 2024 को मंगलवार सुबह 06:24 बजे तक
गायत्री जयंती पर योग
परिघः 17 जून को रात 09:35 बजे तकशिवः 18 जून रात 9.39 बजे तक
रवि योगः 17 जून सुबह 05:35 बजे से दोपहर 01:50 बजे तक
गायत्री जयंती पर मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:03 से 04:43 तक।प्रातः संध्याः सुबह 04:23 से 05:23 बजे तक।
अमृत काल: सुबह 06:44 से 08:31 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:54 से दोपहर 12:50 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:42 से 03:38 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:20 से 07:40 बजे तक।
सायं संध्या: शाम 07:21 से रात 08:21 बजे तक।
रवि योग: सुबह 05:23 से दोपहर 01:50 तक।
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
अर्थ: हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों और अज्ञान की दूर करने वाला है, वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाएं।
माता गायत्री की पूजा का महत्व
माता गायत्री की पूजा से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। जीवन में सकारात्मकता आती है। गायत्री मंत्र को सिद्ध करने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और इनके आशीर्वाद से भक्त के चारों ओर रक्षा कवच बन जाता है, जिससे कोई भी बुरी शक्ति भक्त का बाल बांका नहीं कर पाती। गायत्री मंत्र के जाप से मनुष्य की आध्यत्मिक चेतना का पूर्ण विकास होता हैं। इस मंत्र का श्रद्धा पूर्वक जप करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।ऐसा है देवी गायत्री का स्वरूप
धर्मग्रंथों के अनुसार मां गायत्री ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का एक विशेष स्वरूप हैं। इसी कारण इन्हें त्रिमूर्ति मानकर ही पूरी श्रद्धा से ध्यान किया जाता है। इनके पांच मुख और दस हाथ बताए जाते हैं। इनके पांच में से चार मुख चारों वेदों के प्रतीक हैं तो देवी मां का पांचवा मुख सर्वशक्तिमान शक्ति होने का संदेश देता है। गीता में देवी मां के दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक बताए गए हैं। यह त्रिदेवों की आराध्य भी बताई गईं हैं।गायत्री जयंती पूजन विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान ध्यान से निवृत्त हों
2. देवी मां के निमित्त व्रत और पूजा का संकल्प लें और मां गायत्री की प्रतिमा की स्थापना करें।
3. इसके बाद मां गायत्री के चरणों में जल अर्पित करें।
4. मां गायत्री को पुष्प और माला अर्पित करें, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।
5. घी का दीपक और धुप अर्पित करें, अब गायत्री चालीसा का पाठ करें।
6. संभव हो तो गायत्री मंत्र का पाठ 108 बार जप करें।
7. मां गायत्री की आरती करें, उनका भोग लगाएं और अपनी पूजा में जाने अनजाने हुई भूल की क्षमा मांगें।