1- भय का नाश करने के लिए-
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तु ते ॥
2- जीवन के पापो को नाश करने के लिये ।
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
3- मुसीबतों से निकलने के लिए ।
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥
4- बीमारी महामारी से बचाव के लिए
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥
5- पुत्र रत्न प्राप्त करने के लिए
देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
6- महामारी के नाश के लिए
जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥
7- शक्ति और बल प्राप्ति के लिये
सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥
8- इच्छित पति प्राप्ति के लिये
ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि ।
नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥
9- इच्छित पत्नी प्राप्ति के लिये
पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ।।
इनके साथ नवरात्रि पर्व में नौ शक्ति रुपी देवियों के इन बीज मंत्रों के जप से जो अपने आप में शक्ति और भक्ति के भंडार है, का जप करने पर एक साथ नौ देवियां स्वतः ही प्रसन्न होकर कृपा करने लगती हैं ।
नौ देवियों के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र
1- शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम: ।
2- ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: ।
3- चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम: ।
4- कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम: ।
5- स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ।
6- कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ।
7- कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ।
8- महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: ।
9- सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ।
।।। इति श्री दुर्गाय नमः ।।।