scriptइस दिन दीपदान से नहीं होती अकाल मृत्यु, जानिए शुभ मुहूर्त और यमराज का वचन | deepdan shubh muhurt on dhanteras prevents untimely death yam puja story yam deepam | Patrika News
धर्म-कर्म

इस दिन दीपदान से नहीं होती अकाल मृत्यु, जानिए शुभ मुहूर्त और यमराज का वचन

Dhanteras 2023: हिंदू धर्म के लोगों के लिए धनतेरस का खास महत्व है। इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। साथ ही प्रदोषकाल में यमराज के लिए दीप जलाए जाते हैं। मान्यता है कि इससे घर के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु नहीं होती। आइये जानते हैं यमदीप जलाने का समय और कथा..

Nov 10, 2023 / 12:17 pm

Pravin Pandey

shubh_muhurt.jpg

धनतेरस के दिन यम पूजा का महत्व

कब जलाएं यमदीप
पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ 10 नवंबर को दोपहर 12.35 बजे हो रही है और इस तिथि का समापन 11 नवंबर को दोपहर 1.57 बजे हो रहा है। जबकि प्रदोषकाल 10 नवंबर को पड़ रहा है, इसलिए धनतेरस इसी दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार इस दिन यमदीप जलाने का समय 1 घंटा 17 मिनट है। इस दिन शाम 5.38 बजे से शाम 6.55 बजे तक यमदीप जलाने का शुभ समय है।

यम दीप जलाने का महत्व
ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार धन त्रयोदशी तिथि पर एक दीपक मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर जलाया जाता है। प्रदोषकाल में किए जाने वाले इस अनुष्ठान को यमराज के लिए दीपदान या यम दीपम के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इससे यमदेव प्रसन्न होते है और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा करते है। इससे व्यक्ति को मृत्यु भय समाप्त हो जाता है। रात को महिलाएं चौमुखी दीपक में तेल डालकर उसकी बातियां जलाती हैं। जल, रोली, चावल, गुड़, फूल और नैवेद्य से यम की पूजा की जाती है। इस दिन धन्वंतरि पूजा भी की जाती है। नए बर्तन खरीदना चाहिए, चांदी के बर्तन खरीदने का अत्यधिक लाभ माना जाता है।

इस दिन हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा लगातार तीन बार अपने शरीर पर फेरना और कुमकुम लगाना चाहिए। कार्तिक स्नान करके प्रदोषकाल में घाट, गौशाला, बावली, कुंआ, मंदिर आदि स्थानों में तीन दिन तक दीपक जलाना चाहिए।

स्थिर लग्न में धनतेरस पूजा
वार्ष्णेय के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोषकाल में की जानी चाहिए। हालांकि यह पूजा चौघड़िया की जगह स्थिर लग्न में होती है। मान्यता है कि धनतेरस पर स्थिर लग्न में लक्ष्मीजी की पूजा करने से वे घर में ठहर जाती हैं। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दिवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है। इसलिए वृषभ लग्न में ही धनतेरस की पूजा करनी चाहिए।
ये भी पढ़ेंः Dhanteras 2023: दो घंटे है धनतेरस का मुहूर्त, शुभ के लिए यह खरीदें, ये खरीदने से बचें

धनतेरस की पौराणिक कथा


धनतेरस की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार यमराज ने अपने दूतों से सवाल किया कि क्या प्राणियों के प्राण हरते समय तुम्हें किसी पर दया आती है? इस पर यमदूत बोले, “नहीं महाराज! हम तो आपकी आज्ञा का पालन करते हैं, हमें दया भाव से क्या प्रयोजन? यमराज ने फिर प्रश्न दोहराया ‘संकोच मत करो, यदि कभी कहीं तुम्हारा मन पसीजा है तो निडर होकर कह डालो। इस पर दूतों ने कहा, “सचमुच एक घटना ऐसी घटी है, जब हमारा हृदय कांप गया, हंस नामका राजा एक दिन शिकार के लिए गया वह जंगल में अपने साथियों से बिछुड़ कर भटक गया और दूसरे राजा की सीमा में चला गया, वहां के शासक हेमा ने राजा हंस का बड़ा सत्कार किया.. उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया।

ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक विवाह के चार दिन बाद मर जाएगा। जानकारी पर राजा हंस ने उसकी रक्षा की जिम्मेदारी ले ली। इसके बाद राजा हंस ने उस बालक को यमुना के तट पर एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखवा दिया, उस तक स्त्रियों की छाया भी नहीं पहुंचने दी जा रही थी। लेकिन बेरहम विधि के विधान के कारण एक दिन राजा हंस की ही पुत्री यमुना के तट पर निकल गई और उसने उस ब्रह्मचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया। चौथा दिन आया और राजकुंवर मृत्यु को प्राप्त हुआ। उस नववधु का करुण-विलाप सुन कर हमारा हृदय कांप गया, ऐसी सुन्दर जोड़ी हमने कभी नहीं देखी थी। वे कामदेव और रति से कम न थे।
इस युवक को काल-ग्रस्त करते समय हमारे अश्रु भी थम न पाए थे। इस पर यमदेव ने कहा कि जो प्राणी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलाएगा, उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। साथ ही दीपक जलाते समय उस जीव को जीवनभर धर्म मार्ग पर चलने का वचन भी देना होगा, जो ऐसा करेगा उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी। वह समस्त सुखों का उपभोग करने के बाद ही मृत्यु को प्राप्त होगा। मान्‍यता है कि तभी से धनतेरस की रात यमराज की पूजा शुरू हो गई।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / इस दिन दीपदान से नहीं होती अकाल मृत्यु, जानिए शुभ मुहूर्त और यमराज का वचन

ट्रेंडिंग वीडियो