नवरात्र में इतने वर्ष की कन्याओं का विधिवत मां दुर्गा के प्रतिरूप में पूजन करने से पूरी होती हैं हर इच्छा । एक साल की कन्या “संध्या”, दो साल की “सरस्वती”, तीन साल की “रिद्धिमूर्ति”, चार साल की “कालिका”, पांच साल की “सुभगा”, छ: साल की “उमा”, सात साल की “मालिनी”, आठ साल की “कुब्जा” और नौ साल की कन्या “कालसंदर्भा” कहलाती हैं । इसके अलावा दस साल की “अपराजिता”, ग्यारह की “रुद्राणी”, बारह साल की ”भारवी”, तेरह साल की “महालक्ष्मी”, चौदहवें साल की पी“पीठनायिका”, पंद्रहवें साल की “क्षेत्रजा” और सोलहवें साल की लड़की को “अम्बिका” के रूप में पूजने का विधान हैं ।
चैत्र नवरात्र में ऐसे करें पूजन-
1- पहले दिन अपनी सांसारिक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये एक कन्या का पूजन सफेद एवं लाल फूलों से करना चाहिये ।
2- दूसरे दिन भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिये लाल या पीले रंग के फल अर्पित करने चाहिये ।
3- तीसरे दिन मिठाई के साथ पूजन करना चाहिये ।
4- चौथे दिन कुमारियों को वस्त्र या रुमाल या रिबन भी दिये जा सकते हैं ।
5- संतान लाभ के लिये पांचवे दिन कुमारी पूजन में लड़कियों को प्रसाधन की वस्तुयें भेंट करनी चाहिये ।
6- छठे दिन के कुमारी पूजन में उन्हे खेल-कूद की वस्तुयें जैसे खिलौने, रस्सी इत्यादि भेंट करनी चाहिये।
7- सातवें दिन के कुमारी पूजन में उन्हे लेखन की वस्तुयें– जैसे कापी कलम – भेंट करनी चाहिये ।
8- आठवें दिन कन्याओं को मीठा भोजन खिलाने से धन की प्राप्ति होती हैं ।
9- नौवें दिन घर में कन्याओं के साथ मिलकर हवन करने के बाद उन्हें इलायची और पान खिलाना चाहिये ।
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