ये हैं भाग्य के देवता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देव गुरु बृहस्पति भाग्य के देवता हैं। नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु का दर्जा प्राप्त है। ये भाग्य के साथ धन के भी कारक हैं। इसी कारण ये आपके जीवन में भाग्य के प्रमुख निर्धारक हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपकी कुंडली में बृहस्पति की की स्थिति आपके भाग्य को अच्छा या बुरा बनाता है। यदि कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अच्छी है और ये उच्च के हैं, मित्र स्थान में हैं, इनसे क्रूर ग्रहों की युति या इन पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि नहीं है तो आपके जीवन में सबकुछ अच्छा होगा। भाग्य आपका हमेशा साथ देगा, कम परिश्रम में भी भरपूर सफलता मिलेगी। इसके उलट यदि कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अच्छी नहीं है, बृहस्पति नीच के हैं, शत्रु स्थान में बैठे हैं, अस्त हैं या अकारक हैं तो भाग्य हमेशा रूठा रहेगा। कठिन संघर्ष करने पर भी सफलता मिलना कठिन होगा।
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आचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अच्छी नहीं है और आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा है तो आपको बृहस्पतिदेव की कृपा पाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए किसी भी तरह 19 हजार बार नीचे बताए गए बृहस्पति मंत्र को जप लें, आपका भाग्य साथ देने लगेगा (Guru Ka Mantra Bhagya Ka Sath Pane Ke Upay) ।
- सरल मंत्र ऊं बृं बृहस्पतयै नम: या तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम: का जाप करें।
कब शुरू करें जाप
आचार्य वार्ष्णेय के अनुसार इस मंत्र का जाप शुक्ल पक्ष के किसी भी गुरुवार से शुरू किया जा सकता है और 40 दिन में 19 हजार मंत्र जाप पूरा करना चाहिए। इसके बाद रोज कम से कम एक माला इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं, आप देखेंगे कि बृहस्पतिजी की कृपा से आपके जीवन में बदलाव आने लगेगा। यह सिद्ध मंत्र जरूर फल देता है और इसके जाप से जीवन भर भाग्य का साथ मिलता है। बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए इसके साथ ही विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें, पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा जरूर पढ़ें।