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Saturday Dharma Karma: शनिवार स्वयं देवी मां काली का दिन, ऐसे पाएं देवी का खास आशीर्वाद

शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से मिलेगी निजात…

Jul 16, 2021 / 07:19 pm

दीपेश तिवारी

Today is special Saturday

kali kawach puja

शनि ग्रह की संचालक देवी होने के कारण शनिवार को मां काली का दिन भी माना जाता है। वहीं वर्तमान में आषाढ़ गुप्त नवरात्र भी चल रहे हैं, इनमें मां शक्ति की प्रथम महाविद्या काली ही हैं। ऐसे में आज शनिवार के दिन अष्टमी तिथि भी 02:41 AM, से July 18 तक रहेगी, ज्ञात हो कि अष्टमी तिथि को देवी का दिन ही माना गया है।

इन्हीं सब कारणों के चलते आज का दिन मां काली की पूजा के लिए अति विशेष बन गया है। ऐसे में आज यानि इस शनिवार को आप देवी मां काली का विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर न केवल शनि की कुद्रष्टि से मुक्ति पा सकते हैं, बल्कि अनेक कष्टों से भी छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं।

ये करें इस शनिवार को…
काली भक्त पंडित चंद्रशेखर पाठक का कहना है कि शनिवार का अष्टमी का योग वो भी गुप्त नवरात्रि में अत्यंत विशेष रहता है। ऐसे में यदि आप समस्त परेशानियों से मुक्ति चाहते हैं तो इस शनिवार यानि 17 जुलाई 2021 को काली कवच व देवी दुर्गा का कवच पाठ अवश्य करें।

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MahaKali ki shakti peeth

मान्यता के अनुसार इस पाठ से शरीर के समस्त अंगों की रक्षा होती है, यह पाठ महामारी से बचाव की शक्ति देता है, यह पाठ सम्पूर्ण आरोग्य का शुभ वरदान देता है…यह अत्यंत गोपनीय पाठ है इसे पूरी पवित्रता से किया जाना चाहिए…

जानकारों के अनुसार हिंदू देवियों में काली केवल दुष्टों के लिए ही भयानक और क्रूर देवी हैं, जबकि अन्य सब को अपने पुत्र की तरह प्रेम करतीं हैं। काली माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें एक हाथ में तलवार और दूसरे में दानव का सिर है। जबकि अन्य दो हाथ उसके उपासकों को आशीर्वाद देते हैं। काली समय और परिवर्तन की देवी हैं।

काली कवच आशीर्वाद पाने का सबसे शक्तिशाली तरीका…
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार काली कवच का नियमित रूप से जाप देवी काली को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का सबसे शक्तिशाली तरीका है। काली कवच ब्रह्म वैवर्त पुराण से है जिसे भगवान शिव ने भगवान विष्णु को बताया था।

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kali mata

यह कवच सुरक्षा के लिए एक बहुत ही प्रभावी और शक्तिशाली है। माना जाता है कि काली कवच के निरंतर अभ्यास से उपासक के पास एक चुंबकीय ऊर्जा चक्र का निर्माण होता है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है और केवल सकारात्मक और अच्छे स्पंदनों को आकर्षित करने में मदद करता है।

मां शक्ति की प्रथम महाविद्या काली हैं। वह शनि की संचालक देवी भी हैं। काली जिसे कालिका के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू देवी है। वह कुलमर्ग की चार उपश्रेणियों में से एक, तांत्रिक शैववाद की एक श्रेणी की देवी हैं। समय के साथ, इन्हें भक्ति और तांत्रिक संप्रदायों द्वारा विभिन्न रूप से देवी मां, ब्रह्मांड की मां, आदि शक्ति या आदि पराशक्ति के रूप में पूजा जाता रहा है।

देवी काली को दिव्य रक्षक और मोक्ष, या मोक्ष प्रदान करने वाली के रूप में भी देखा जाता है। काली को अक्सर शांत और साष्टांग लेटते भगवान शिव पर एक पैर रखे या नृत्य के रूप में चित्रित किया जाता है। माना जाता है कि काली भी काल का ही स्त्री रूप है, जो शिव का एक विशेषण है, और इस प्रकार शिव की पत्नी हैं।

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shani dev-The god of justice
काली कवच:
कवचं श्रोतुमिच्छामि तां च विद्यां दशाक्षरीम्।
नाथ त्वत्तो हि सर्वज्ञ भद्रकाल्याश्च साम्प्रतम्॥
नारायण उवाच
श्रृणु नारद वक्ष्यामि महाविद्यां दशाक्षरीम्।
गोपनीयं च कवचं त्रिषु लोकेषु दुर्लभम्॥
ह्रीं श्रीं क्लीं कालिकायै स्वाहेति च दशाक्षरीम्।
दुर्वासा हि ददौ राज्ञे पुष्करे सूर्यपर्वणि॥
दशलक्षजपेनैव मन्त्रसिद्धि: कृता पुरा।
पञ्चलक्षजपेनैव पठन् कवचमुत्तमम्॥
बभूव सिद्धकवचोऽप्ययोध्यामाजगाम स:।
कृत्स्नां हि पृथिवीं जिग्ये कवचस्य प्रसादत:॥
नारद उवाच
श्रुता दशाक्षरी विद्या त्रिषु लोकेषु दुर्लभा।
अधुना श्रोतुमिच्छामि कवचं ब्रूहि मे प्रभो॥

अथ कवचं
श्रृणु वक्ष्यामि विपे्रन्द्र कवचं परमाद्भुतम्।
नारायणेन यद् दत्तं कृपया शूलिने पुरा॥
त्रिपुरस्य वधे घोरे शिवस्य विजयाय च।
तदेव शूलिना दत्तं पुरा दुर्वाससे मुने॥
दुर्वाससा च यद् दत्तं सुचन्द्राय महात्मने।
अतिगुह्यतरं तत्त्‍‌वं सर्वमन्त्रौघविग्रहम्॥
ह्रीं श्रीं क्लीं कालिकायै स्वाहा मे पातु मस्तकम्।
क्लीं कपालं सदा पातु ह्रीं ह्रीं ह्रीमिति लोचने॥
ह्रीं त्रिलोचने स्वाहा नासिकां मे सदावतु।
क्लीं कालिके रक्ष रक्ष स्वाहा दन्तं सदावतु॥
ह्रीं भद्रकालिके स्वाहा पातु मेऽधरयुग्मकम्।
ह्रीं ह्रीं क्लीं कालिकायै स्वाहा कण्ठं सदावतु॥
ह्रीं कालिकायै स्वाहा कर्णयुग्मं सदावतु।
क्रीं क्रीं क्लीं काल्यै स्वाहा स्कन्धं पातु सदा मम॥
क्रीं भद्रकाल्यै स्वाहा मम वक्ष: सदावतु।
क्रीं कालिकायै स्वाहा मम नाभिं सदावतु॥
ह्रीं कालिकायै स्वाहा मम पष्ठं सदावतु।
रक्त बीजविनाशिन्यै स्वाहा हस्तौ सदावतु॥
ह्रीं क्लीं मुण्डमालिन्यै स्वाहा पादौ सदावतु।
ह्रीं चामुण्डायै स्वाहा सर्वाङ्गं मे सदावतु॥
प्राच्यां पातु महाकाली आगन्ेय्यां रक्त दन्तिका।
दक्षिणे पातु चामुण्डा नैर्ऋत्यां पातु कालिका॥
श्यामा च वारुणे पातु वायव्यां पातु चण्डिका।
उत्तरे विकटास्या च ऐशान्यां साट्टहासिनी॥
ऊध्र्व पातु लोलजिह्वा मायाद्या पात्वध: सदा।
जले स्थले चान्तरिक्षे पातु विश्वप्रसू: सदा॥
इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम्।
सर्वेषां कवचानां च सारभूतं परात्परम्॥
सप्तद्वीपेश्वरो राजा सुचन्द्रोऽस्य प्रसादत:।
कवचस्य प्रसादेन मान्धाता पृथिवीपति:॥
प्रचेता लोमशश्चैव यत: सिद्धो बभूव ह।
यतो हि योगिनां श्रेष्ठ: सौभरि: पिप्पलायन:॥
यदि स्यात् सिद्धकवच: सर्वसिद्धीश्वरो भवेत्।
महादानानि सर्वाणि तपांसि च व्रतानि च॥
निश्चितं कवचस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्॥
इदं कवचमज्ञात्वा भजेत् कलीं जगत्प्रसूम्।
शतलक्षप्रप्तोऽपिन मन्त्र: सिद्धिदायक:॥
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काली कवच के लाभ (मान्यता के अनुसार)
धर्म के जानकारों के अनुसार काली कवच का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराई दूर होती है साथ ही आप स्वस्थ, धनवान और समृद्ध बनते हैं।
इसके अलावा काली कवच शनि की अशुभ अवधि के मजबूत दुष्प्रभावों को शांत करने में भी मदद करता है।

: काली कवच शनि के साढ़े साती योग के मजबूत दुष्प्रभावों को शांत करने में मदद करता है।
इसके साथ ही यह सभी प्रकार की नकारात्मक तरंगें आपसे, परिवार के सदस्यों और घर से दूर रखता हैं।
कुल मिलाकर काली मां अपने भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से बचाती हैं।
: यह भी माना जाता है कि काली कवच बेरोजगारी से बचाता है।
: देवी काली अपने भक्तों की सहनशक्ति को बढ़ाती हैं।
: माना जाता है कि देवी काली देवी दुर्गा का प्रबल रूप हैं।
: भक्तों का घर खुशियों से भर जाता है।
: इस पाठ को करने से व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों से परेशान नहीं होता है।
: देवी काली की पूजा करने से सभी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं।
: जीवन से अंधकार दूर हो जाता है।
: काली कवच काले जादू से बचाता है।
: काली कवच रोगों से रक्षा करता है।

इन्हें अवश्य करना चाहिए काली कवच का पाठ…
जानकारों के अनुसार वैसे तो हर किसी को देवी मां के इस पाठ को करना चाहिए। लेकिन, इसमे भी जो व्यक्ति नकारात्मक शक्ति, शनि की क्रूरता, काला जादू और अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं उन्हें इस काली कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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