8 अनूठी परंपराएं तथा उनके कारणः नींबू और मिर्ची से ही नजर क्यों उतारते हैं
जानिए ऐसी कुछ परंपराओं के बारे में जिन्हें कुछ लोग अंधविश्वास
कहते हैं तो कुछ लोग धार्मिक परंपराएं बताकर उनका पालन करते हैं
हमारे पूर्वजों ने कई अनूठी परंपराएं बनाई तथा उन्हें धर्म-कर्म से जोड़ दिया। आज भी हम उनका उद्देश्य जाने बिना उनका पालन करते हैं और उन्हें पाप-पुण्य से जोड़ते हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ परंपराओं के बारे में जिन्हें कुछ लोग अंधविश्वास कहते हैं तो कुछ लोग उन्हें धार्मिक परंपराएं बताकर उनका पालन करना अनिवार्य बताते हैं।
अंधविश्वास 1- नींबू तथा मिर्ची से नजर उतारना।
कारणः इसके पीछे दो दिलचस्प कारण बताए जाते हैं। पहला प्राणिक हीलिंग या आधुनिक ऊर्जा विज्ञान से जुड़ा है जबकि दूसरा यह है कि इन दोनों में ही सायट्रिक एसिड होता है जिसकी गंध कीड़े-मकोड़ों को दूर भगाती हैं। इसे आजमाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि कही भी मक्खी-मच्छर या अन्य कीड़े-मकोड़े दिखने पर आप वहां पर नींबू काट कर रख दें, तुरंत सभी कीट भाग जाएंगे। इसके अलावा हीलिंग थेरेपी के अनुसार नींबू और मिर्ची दोनों ही नेगेटिव एनर्जी को सोख लेते हैं जिससे वातावरण में सकारात्मकता तथा ऊर्जा का आभास होता है।
अंधविश्वास 2- सौभाग्य के लिए घर से बाहर निकलने के पहले मीठा दही खाना चाहिए।
कारणः भारत गर्म जलवायु वाला देश है जहां आदमी को ठंडी तासीर वाली खुराक खानी चाहिए। दही भी एक ऐसी ही चीज है। इसमें चीनी मिलाने से यह बॉडी को ठंडक को देता ही है, साथ में शरीर को ग्लूकोज की भी पूर्ति करता है।
अंधविश्वास 3- मासिक धर्म के समय महिलाओं को पूजा नहीं करनी चाहिए
कारणः यूं तो वर्तमान में इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं माना गया है। परन्तु योग विज्ञान के अनुसार प्रार्थना, पूजा, मेडिटेशन, योग आदि से शरीर की ऊर्जा ऊर्ध्वगामी होती है जिससे शरीर के सभी चक्र सक्रिय होकर मोक्ष का द्वार खुलता है। परन्तु मासिक धर्म के समय यदि औरतें इन कार्यों में भाग लें तो उनकी ऊर्जा भी ऊर्ध्वगामी हो जाएगी जिससे उनके शरीर से रक्त के साथ बाहर निकलने वाली गंदगी नहीं निकल पाएगी और वो बीमार हो सकती हैं। शायद इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्राचीन धर्मशास्त्रियों ने मासिक धर्म के समय महिलाओं की पूजा-पाठ पर प्रतिबंध लगा दिया।
अंधविश्वास 4- रात को झाडू नहीं लगानी चाहिए
कारणः पुराने जमाने में इलेक्ट्रिसिटी नहीं हुआ करती थी। ऐसे में लोग दीपक या मोमबत्ती की रोशनी के सहारे काम करते थे। इन हालातों में अगर रात को झाड़ू लगाई जाए तो अंधेरे के कारण फर्श पर गिरी कीमती वस्तुओं के खोने का भी डर रहता था। इसी कारण से सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने का निषेध कर दिया गया।
अंधविश्वास 5- सूर्यग्रहण अथवा चंद्रग्रहण के समय ग्रहण नहीं देखना चाहिए। राहु का बुरा असर पड़ता है।
कारणः ग्रहण के समय सूर्य अथवा चन्द्रमा को सीधा नंगी आंखों से देखने पर आंखों के रेटिना के क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। इसी कारण से लोगों को राहु का डर दिखाकर इसे सीधा देखने से मना किया गया है। वर्तमान में जबकि कई सुरक्षात्मक साधन मौजूद है, हम ग्रहण को न केवल देख सकते हैं वरन उसकी रिकॉर्डिंग भी बना सकते हैं।
अंधविश्वास 6- अंतिम संस्कार से वापस आकर स्नान करना चाहिए।
कारणः काफी हद तक इसका कारण वैज्ञानिक माना जाता है। कुछ दशक पहले तक किसी भी बीमारी के लिए कोई वेक्सिनेशन नहीं था, ऐसे में बीमारी के प्रति सावधानी बरतना ही ठीक माना जाता था। अंतिम संस्कार के बाद वापस आकर इसी लिए नहाया जाता कि मृतक शरीर के किसी प्रकार का कोई इन्फेक्शन नहीं फैल सके। यही नहीं मृतक के परिजनों को नीम की कुछ पत्तियां भी चबानी होती है जो कि एंटीबैक्टीरियल का काम करती है।
अंधविश्वास 7- रात में पेड़ों के पास नही जाना चाहिए।
कारणः दरअसल दिन में ऑक्सीजन बनाने वाले पेड़ रात को कार्बन-डाइ-ऑक्साइड छोड़ते हैं जो स्वास्थ्य के लिए घातक होती है। इसलिए रात को पेड़ों के पास जाना निषेध किया गया है।
अंधविश्वास 8- सौभाग्य पाने के लिए नदियों में सिक्के फेंकने चाहिए।
कारणः पहले नदियां पानी पीने का एक मात्र साधन हुआ करती है तथा सिक्के भी तांबे के हुआ करते थे। तांबा पानी में लंबे समय तक रहने पर उसमें मौजूद सभी बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। इसी कारण से बड़े-बुजुर्गों ने यह परंपरा चलाई कि तांबे के सिक्के पानी में फेंके जाए ताकि पानी की सफाई का काम चलता रहे। यही कारण है कि आज भी पूजा के काम में तांबे अथवा कांसे (तांबा मिश्रित धातु) के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है।
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