इन ज्योतिर्लिंग में पंचामृत से अभिषेक
देश में 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं जहां पर शिव भक्त श्रद्धालु शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक नहीं करते, इन शिव ज्योतिर्लिंगों केवल निर्धारित पुजारी को ही अभिषेक कर सकते हैं । इन ज्योतिर्लिंगों में 1- ओंकारेश्वर, 2- घृष्णेश्वर, 3- त्र्यंबकेश्वर, 4- भीमाशंकर, 5- मल्लिकार्जुन, 6- केदारनाथ और 7- सोमनाथ शामिल हैं जहां ज्योतिर्लिंगों में पंचामृत से अभिषेक नहीं किया जाता ।
इनके अलावा 5 में से 3 ज्योतिर्लिंग हैं जहां पंचामृत से अभिषेक किया जाता हैं, और वे है- काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम और नागेश्वर में रोक तो नहीं है लेकिन तमाम सावधानियां बरती जाती हैं । ज्योतिर्लिंग की महिमा को देखते हुए अब श्रद्धा के साथ सावधानी की भी जरूरत है, हर ज्योतिर्लिंग का पुराणों-वेदों में अपना महत्व और वर्णन है ।
1- सोमनाथ को पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है, ऋग्वेद में इसका उल्लेख मिलता है की इस शिवलिंग की स्थापना चंद्रदेव ने की थी ।
2- मल्लिकार्जुन आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल नाम के पर्वत पर स्थित है, इसे कैलाश पर्वत के समान ही माना जाता है ।
3- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में नर्मदा किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थिति है, यह ज्योतिर्लिंग ऊं के आकार में है ।
4- विश्वनाथ शिवलिंग काशी में स्थित है, मान्यता कहती है कि हिमालय को छोड़कर भगवान शिव ने काशी में ही अपना स्थायी निवास बताया था ।
5- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथ पुरम में स्थित है, लंका विजय से पहले भगवान श्रीराम ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी ।
कहा जाता हैं कि शिवलिंग का अभिषेक पंचामृत से करने का अपना महत्व है, और शिव भक्तों की हर प्रकार के अभिषेक के साथ आस्था जुड़ी हुई है । हर अभिषेक के अपने धार्मिक और आध्यात्मिक फायदे हैं, मंत्र का उच्चारण करते हुए जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है, शहद चढ़ाने से वाणी में मिठास आती है । दूध चढ़ाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है, दही चढ़ाने से स्वभाव गंभीर होता है । शिवलिंग पर घी चढ़ाने से शक्ति बढ़ती है, शिवलिंग पर इत्र अर्पित करने से विचार पवित्र होते हैं, चंदन का टीका लगाने से व्यक्तित्व आकर्षक बनता है । भांग चढ़ाने से विकार दूर हो जाते हैं, शक्कर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है । ये सभी चीजें भगवान शिव को अतिप्रसन्न करने के लिए हैं. सावन में खासतौर भक्त अपने भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिये दूध-दही-शहद-चंदन-केसर-अक्षत के साथ बिल्वपत्र, धतूरा और आंकड़े के फूल चढ़ाते हैं ।