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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार संसद के पास संविधान के मूल ढांचे को बदलने का अधिकार नहीं है फिर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही इस विचार को आगे बढ़ाया है। 2020 में उन्होंने यह तक घोषणा की कि ओएनओई बहस का विषय है बल्कि भारत के लिए एक आवश्यकता है।
संघवाद पर यह हमला सभी पंचायतों और नगरीय निकायों के लिए एक साथ
चुनाव कराने के कदम से और भी स्पष्ट हो गया है कि यह प्रतिशोध के साथ केन्द्रीयकरण है और विकेन्द्रीयकरण निर्णय लेने वाले स्थानीय निकायों के उद्देश्यों के खिलाफ है।