शहर में नहीं बची है जगह उल्लेखनीय है कि शहर में वर्तमान में इंदौर रोड, उज्जैन रोड, सिया में औद्योगिक क्षेत्र हैं। वर्तमान में छोटे-बड़े करीब 1100 उद्योग शहर में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में अब शहर में नए उद्योगों के लिए जमीन नहीं बची है। लंबे समय से शहर के आसपास ही नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की मांग होती आई है। इंदौर-भोपाल के बीच होने व अन्य सुविधाएं होने से देवास उद्योगपतियों की पहली पसंद है लेकिन जमीन नहीं होने से लंबे समय से देवास में कोई बड़ा उद्योग नहीं आया है।
क्लस्टर की कवायद भी आगे नहीं बढ़ी उल्लेखनीय है कि शहर के प्रतापनगर के समीप उद्योग विभाग की जमीन पर दो नए औद्योेगिक क्लस्टर विकसित किए जाने हैं। इसमें छोटे उद्योग लगेंगे। एक क्लस्टर इंजीनियरिंग का रहेगा जबकि दूसरा मल्टीपरपज होगा। मल्टीपरपज क्लस्टर में कोई भी यूनिट स्थापित की जा सकेगी। दोनों क्लस्टर के लिए 20 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। इसकी टेंडर प्रक्रिया हो चुकी है लेकिन इसके बाद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी है।
उद्योगपतियों को राहत देनी चाहिए राज्य सरकार के दायरे में आने वाली विभिन्न प्रावधानों को लेकर उद्योगपतियों को काफी उम्मीदें हैं। बैंक लोन, लीज की जमीन पर जो स्टॉम्प ड्यूटी लगती है वो प्रदेश में सबसे ज्यादा है। इसमें रियायत देनी चाहिए। यह उद्योगपतियों के लिए बहुत बड़ा बोझ है। सरकार को अन्य राज्यों की स्टॉम्प ड्यूटी व प्रदेश की स्टॉम्प ड्यूटी को लेकर स्टडी करना चाहिए। औद्योगिक क्षेत्रों की जो जमीनें हमें मिलती हैं उसे बिना लैंड यूज परिवर्तन किए फ्री-होल्ड करना चाहिए ताकि उद्योग लगाने में आसानी हो। इससे लोन मिलने में भी असानी होगी और जमीन ट्रांसफर करने में भी फायदा होगा। सरकार इन्फास्ट्रक्चर को लेकर काम कर रही है लेकिन कुछ ही क्षेत्रों में काम हुआ है। सरकार को नए औद्योगिक क्षेत्र को लेकर काम करना चाहिए। देवास उद्योगपतियों की पसंद है लेकिन यहां जमीन उपलब्ध नहीं है। यहां कुशल कारीगर हैं व लोकेशन बेहतर है। शहर के आसपास नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना चाहिए। इससे नए उद्योग भी आएंगे और रोजगार भी बढ़ेगा।-अशोक खंडेलिया, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज
सूक्ष्म उद्योगों के लिए नीतियां बनाई जाएंबजट में छोटे उद्यमियों को रियायत देनी चाहिए। सूक्ष्म उद्यमियों के लिए नई नीतियां बनाई जानी चाहिए। देवास में क्लस्टर का मामला पेंडिंग है। उसका जल्द से जल्द निराकरण करना चाहिए। इसके टेंडर भी हो चुके हैं लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है। इस ओर ध्यान देना चाहिए।
–समीर मूदंड़ा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती