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Kirti chakra award : देवरिया के सपूत कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र, सियाचिन ग्लेशियर में किए थे अद्वितीय साहस का प्रदर्शन

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने शुक्रवार को भारतीय सेना के वीर बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। अंशुमान बीते वर्ष सियाचिन में अचानक टेंटों में आग लगने के बाद अद्भुत साहस से भारतीय सेना के कई जवानों को मौत से बचा लिए।

देवरियाJul 06, 2024 / 10:53 am

anoop shukla

शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा बीते वर्ष सियाचिन ग्लेशियर में जांबाजी का प्रदर्शन कर भारतीय सेना के कई टेंटों में लगी आग पर काबू पाकर भारतीय सैनिकों को मौत के मुंह में जाने से बचाने वाले बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र देने की घोषणा की गई थी।राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह सम्मान शहीद की पत्नी सृष्टि सिंह और उनकी मां मंजू सिंह को सौंपा। बता दें की सियाचिन ग्लेशियर में 19 जुलाई 2023 की सुबह भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई। हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर देवरिया निवासी कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। अंशुमान सिंह की 5 महीने पहले 10 फरवरी को शादी हुई थी। कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। अंशुमान मूल रूप से देवरिया जिले के बरडीहा दलपत गांव के रहने वाले थे।

19 जुलाई 2023 को सियाचिन ग्लेशियर की वह भयानक रात

सियाचिन ग्लेशियर की वह भयानक रात 19 जुलाई 2023 को भारतीय सेना के कई टेंटों में अचानक आग पकड़ ली। कैप्टन अंशुमान सिंह की ड्यूटी वही थी। आग फैलते देख सो रहे साथियों को बचाने के लिए कैप्टन ने जान की बाजी लगा दी थी। इस हादसे में कैप्टन बलिदान हो गए। 2023 तारीख 20 जुलाई दिन बृहस्पतिवार की सुबह सेना की मेडिकल कोर और कमांड अस्पताल के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी अंशुमान सिंह के लखनऊ स्थित घर पहुंचे। उन्होंने पिता रवि प्रताप सिंह को कैप्टन अंशुमान सिंह के शहीद होने की खबर दी। शहादत की खबर मिलते ही उनके परिचित और रिश्तेदारों का घर पहुंचना शुरू हो गया। बेहाल मां मंजू सिंह का रो रोकर बुरा हाल हो गया।अंशुमान सिंह की पत्नी इंजीनियर सृष्टि सिंह पठानकोट की रहने वाली हैं। वह नोएडा में रहकर एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती हैं। अंशुमान के लखनऊ वाले घर में उनके पिता रवि प्रताप सिंह, मां मंजू सिंह, बहन तान्या सिंह और भाई घनश्याम सिंह रहते हैं। देवरिया जिले के लार थाना क्षेत्र के बरडीहा दलपत में उनके दादा और चाचा रहते हैं।

AFMC किये थे क्वालीफाई, पत्नी हैं इंजीनियर

पढ़ाई के बाद अंशुमान का चयन आर्मड फोर्स मेडिकल कॉलेज पुणे में हो गया। वहां से MBBS करने के बाद कैप्टन अंशुमान सिंह सेना की मेडिकल कोर में शामिल हुए। पत्नी स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। आगरा मिलिट्री हॉस्पिटल में ट्रेनिंग के बाद वहीं अंशुमान की तैनाती हो गई थी।पिछले दिनों कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात एक बटालियन के वह मेडिकल आफिसर बने। वहां से 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। उनके पिता रवि प्रताप सिंह सेना में JCO थे। कैप्टन अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह हैं। दोनों ही नोएडा में डॉक्टर हैं।

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