जानकारी के अनुसार बालिका अंकिता पुत्री देवनारायण गुर्जर के बोरवेल में गिरने का पता लगते ही सूचना प्रशासन को दी गई। सूचना पर पुलिस, प्रशासन, मेडिकल विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। जेसीबी की मदद से बोरवेल के सामने की ओर खुदाई शुरू कराई गई। पाइप के माध्यम से बोरवेल में ऑक्सीजन सप्लाई की गई। वहीं करीब दो बजे बच्ची के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए बोरवेल में कैमरे डाला गया।
इस दौरान बालिका का मूवमेंट भी नजर आया। 200 फीट गहरे बोरवेल में बालिका करीब 80 फुट की गइराई पर अटक गई। वहीं बोरवेल के समानान्तर कई जेसीबी, एलएनटी मशीनों से खुदाई की गई। इस मिट्टी को हटाने के लिए आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर लगे । बालिका के दादा कमलसिंह ने बताया कि बच्ची खेलते हुए ही बोरवेल में गिर गई। दौसा जिला कलक्टर कमर चौधरी सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे।
मासूम को टीम ने देसी जुगाड़ से सुरक्षित निकाला। देसी जुगाड़ के लिए बराबर लंबाई के तीन पाइप लिए जाते हैं। इन तीनों पाइप को बांधा जाता है और लास्ट में एक टी-बनाते हैं। इस पर एक जाल बांधा जाता है। यह सभी एक मास्टर रस्सी से जुड़ी रहती है। कैमरा भी जोड़ा जाता है ताकि पता चलता है कि अंदर फंसा व्यक्ति जुगाड़ में फंसा या नहीं। मास्टर रस्सी का कंट्रोल बाहर खड़े युवक के पास रहता है। इस पूरे स्ट्रक्चर को बोरवेल में उतारकर फंसे व्यक्ति तक पहुंचाया जाता है और फिर रस्सी को बाहर से खींचा जाता है, जिससे अंदर मौजूद व्यक्ति को बाहर खींच लिया जाता है। इस तरह का प्रयोग पूर्व में भी टीम सफलतापूर्वक कर चुकी है।
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एनएचएआई की संयुक्त टीम ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। टीम ने लॉकल टैक्निक से बालिका को जिंदा बाहर निकाल लिया। बच्ची के उपचार के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया है।