आपको बता दें कि, शिक्षक द्वारा आत्महत्या करने के बाद से ही इस स्कूल की एक क्लास पूरी तरह खाली पड़ी है। दूसरी क्लासों में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है। हमेशा बच्चों से भरा रहने वाले स्कूल में पिछले कुछ दिनों से इक्का दुक्का बच्चे ही पढ़ने आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें- कोरोना से मौत पर भी बीमा कंपनियों को चुकानी होगी लोन की रकम, क्लैम खारिज नहीं कर सकती कंपनी
शिक्षक ने स्कूल में की थी फांसी लगाकर आत्महत्या
गौरतलब है कि, 22 नवंबर को इस स्कूल में बीरेंद्र सिंह नामक टीचर ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। इस घटना के बाद स्कूल के बच्चे भयभीत हैं। टीचर के भूत बनने के डर से बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं। इस संबंध में जब ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, शिक्षक द्वारा आत्महत्या करने के बाद से ही उनके बच्चे काफी डरे हुए हैं। बच्चों के न आने से स्कूल में मध्यान्ह भोजन भी नहीं बन पा रहा है। हद तो ये है कि, बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बनाने वाली भी काफी डरी हुई है।
अन्य टीचरों में भी डर
वहीं, स्कूल के अन्य शिक्षकों ने बताया कि, वो लगातार ग्रामीणों को समझाइश देकर उनके बच्चों को स्कूल भेजने की अपील कर रहे हैं। बावजूद इसके ग्रामीणों पर भी शिक्षक के भूत का प्रभाव इतना जयादा है कि वो डर के मारे अपने बच्चों को स्कूल भेजने की सेहमति नहीं दे रहे हैं। हालांकि अंदर से शिक्षक भी डरे हुए लग रहे हैं, क्योंकि जिस स्टाफ रूम में बीरेंद्र सिंह ने फांसी लगाई थी, वहां अब भी ताला लटका है। अन्य टीचर भी उस कमरे में बैठने की हिम्मत नहीं कर रहा है।
यह भी पढ़ें- CM Helpline पर होगा तुरंत एक्शन, समय सीमा में प्रकरण नही निपटा तो अफसरों पर गिरेगी गाज
शिक्षा के मंदिर से पनप रहा अंधविश्वास
ततारपुर पट्टी स्कूल के प्रभारी हेड मास्टर मंगल सिंह के अनुसार, हमारे समाज में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास की जड़ें अभी भी काफी गहरी हैं। अफसोस ये है कि, शिक्षा के मंदिर में जहां शिक्षा की अलख से अंधविश्वास का खात्मा किया जाता है, वहीं से अंधविश्वास पनप रहा है।
भाजपा पार्षद व एमआईसी सदस्य को कोर्ट ने सुनाई सजा, देखें वीडियो