Kundalpur Saree: साड़ियों में पिरोया प्रसिद्ध जैन तीर्थ कुंडलपुर का इतिहास, नए डिजाइन्स की विदेशों में बढ़ी डिमांड
Kundalpur Saree: प्रसिद्ध जैन तीर्थ कुंडलपुर का इतिहास अब साड़ियों की खूबसूरती बढ़ा रहा है, आचार्यश्री के ब्रह्मचारी शिष्यों ने कुंडलपुर के हथकरघा से तैयार होने वाली साड़ियों के उद्योग को दी नई दिशा, NIFT और NID एक्सपर्ट की रिसर्च के बाद तैयार किए एक से बढ़कर एक डिजाइन और धागों में पिरो दी कुंडलपुर हिस्ट्री
प्रसिद्ध जैन तीर्थ कुंडलपुर में बनने वाली साड़ियां देश ही नहीं विदेशों में पसंद की जा रही हैं। इन साड़ियों में कुंडलपुर का इतिहास, प्रतिमा, बड़ेबाबा के अतिशय आदि को 27 प्रिंट में समेटा गया है। सरकार से कुंडलपुर की इस साड़ी को टैग मिलने में भले ही अभी समय है, लेकिन बाजार में इन साड़ियों ने खासी पहचान बना ली है।
दरअसल, आचार्य विद्यासागर की अहिंसा, स्वावलंबन और प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर रखने की सोच हथकरघा के रूप में सामने आई थी। जिसे अब नए कलेवर के साथ बाजार में उतारा जा रहा है। पढ़ें मध्य प्रदेश के दमोह जिले से संवेद जैन की रिपोर्ट…
ऐसे होती है बुनाई
चिह्नों की डिजाइन से ग्राफ की रचना होती है। ताना और पिंडा मशीन से ताने बनाए जाते हैं। साड़ी में डॉबी यंत्र से बॉर्डर का डिजाइन बनता है और बूटी के के लिए जाला का प्रयोग होता है।
शिष्यों ने दी अब नई दिशा
आचार्यश्री के ब्रह्मचारी शिष्यों ने अब नई दिशा दी है। 2017 में कुंडलपुर समेत अन्य जगहों पर हथकरघा केंद्र शुरू हुए। युवाओं का समूह नया करना चाहता था। तब आचार्यश्री ने कुंडलपुर का इतिहास बताया। इसके बाद ब्रह्मचारियों ने निफ्ट और एनआइडी के विशेषज्ञों से कुंडलपुर में रिसर्च कराई। 27 चिह्नों का चयन किया, इनसे कुंडलपुर के इतिहास, प्राचीन प्रतिमा, अतिशय प्रदर्शित होते थे। 2022 से ये चिह्न साड़ियों पर प्रिंट किए जा रहे हैं।
धागों में पिरोए हैं चिह्न
कुंडलगिरी के कुंडलाकार पर्वत से कुंडल प्रिंट, वलयाकार पर्वत से वलय प्रिंट, सेज वृक्ष से सेज प्रिंट, सागौन फल प्रिंट, बड़ेबाबा के शासन यज्ञ गोमुख देव के हाथ स्थित बीजपूरक प्रिंट, परशु चिह्न, पारंपरिक आभूषण खड़गा बाजूबंद, चक्र, मणिमाल, मुकुट, कार्णिका, कंगन, वृत्त पुष्प, शाकभक्ष, पुष्प, केश, आधार स्तंभ, अर्ध वलय, शिलाखंड, किरीट, लटकन, प्रहार चिह्न भी साड़ियों पर प्रिंट किए जा रहे हैं।