वहीं अब जब विभाग की रकम फंस चुकी है, तो दमोह के मुख्य कार्यपालन यंत्री खुद को सुरक्षित करने के लिए कलेक्टर और एसडीएम के चक्कर काट रहे हैं।
कॉलोनी बनाने का प्रोजेक्ट खटाई में: बता दें कि हाउङ्क्षसग बोर्ड के पास दमयंतीनगर बनाने के बाद कहीं भी कॉलोनी निर्माण के लिए जमीन नहीं थी। इसी के चलते विभाग ने दमोह में जमीन खरीदी की स्वीकृति दी। इधर जिम्मेदार अधिकारियों ने जमीन की वास्तविक परिस्थितियों से विभागीय उच्चाधिकारियों को अवगत नहीं कराया।
बताया गया है कि खरीदी से पहले तैयार की जाने वाली सर्वे रिपोर्ट भी तैयार नहीं की गई और अवैध कब्जों के होने की जानकारी को छुपा लिया गया। लेकिन अब जब विभाग के पास जमीन है, तो अवैध कब्जों की वजह से कॉलोनी बनाने का प्लान खटाई में आ गया है।
जमीन खरीदी पर हैंडओवर नहीं
फरवरी २०२४ में समन्ना बायपस रैयतवारी क्षेत्र में हाउङ्क्षसग बोर्ड ने २५ एकड़ जमीन का रकबा क्रय किया है। जानकारी अनुसार जमीन की रजिस्ट्री ९ फरवरी को हुई है। लेकिन अभी तक हाउङ्क्षसग बोर्ड ने उक्त भूखंड को अपने हैंडओवर नहीं लिया है और मामले को टाला जा रहा है। वर्तमान में हाउङ्क्षसग बोर्ड की जिम्मेदारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में रामकुमार बाथम संभाल रहे हैं, जिन्होंने बताया कि जमीन को तकनीकी कारणों की वजह से अभी हैंडओवर नहीं किया गया है।
सैकड़ों अवैध कब्जाधारी काबिज
हाउङ्क्षसग बोर्ड द्वारा २५ एकड़ का उक्त भूखंड करीब २ करोड़ ५३ लाख में क्रय किया गया है। रजिस्ट्री हुए अब तक छह माह का समय बीत चुका है, लेकिन विभाग का भूखंड पर कब्जा नहीं है। ऐसा होने की वजह पड़ताल करने में सामने आया है कि भूखंड पर करीब दो सैकड़ा कच्चे-पक्के मकान बने हुए हैं, जो सालों पहले जमीन पर कब्जा कर बनाए जाना दर्शा रहे हैं। इन परिस्थितियों में हाउङ्क्षसग बोर्ड जमीन का भूस्वामित्व होने के बाद भी जमीन पर नहीं पहुंच पा रहा है।
मुख्य कार्यपालन यंत्री रामकुमार बाथम से सीधी बात
Q : हाउङ्क्षसग बोर्ड द्वारा जमीन क्रय किए कितना समय हो चुका है।
A : जमीन खरीदी छह माह बीत चुका है, लेकिन अभी कब्जा नहीं हुआ है।
Q : क्या वजह है कि विभाग खरीदी जमीन पर कॉलोनी बनाने की रूपरेखा नहीं बना पा रहा है।
A : दरअसल जमीन पर करीब दो सौ अवैध कब्जाधारी काबिज हैं।
Q : क्या अवैध कब्जे अभी हुए हैं।