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दमोह

सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं शून्य, मरीज भी करने लगे तौबा

शेष को करते हैं जिला अस्पताल रेफर

दमोहJan 18, 2018 / 01:30 pm

Rajesh Kumar Pandey

Rest of the district hospital referee

Rest of the district hospital referee

दमोह/हटा. नगर की सिविल अस्पताल मे हटा, पटेरा, बटियागढ़ विकासखंड की करीब दो लाख जनसंख्या के स्वास्थ्य का भार है। यहां प्रतिवर्ष करीब दो लाख जनता अपने इलाज के लिए आती है। प्रतिदिन 10 से लेकर 20 डिलेवरी प्रकरण आते हैं। माह मे 30 से ज्यादा डिलेवरी प्रकरण दमोह रेफर कर दिए जाते हंै। इसके साथ ही मरीज की हालत हल्की भी गंभीर होने पर उसे दमोह रेफर कर दिया जाता है। अस्पताल मे केवल उल्टी दस्त व सामान्य बीमारी के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। जबकि अस्पताल का भंडार दवाईयों से भरा पड़ा है।
देवेंद्र पटैल, अधिवक्ता संजू राजपूत ने बताया कि सरकार का निर्माण व संसाधनों की खरीदी को कम कर आमजन की मूलभूत स्वास्थ्य सुविधा पर प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिए। अस्पताल सिर्फ सरकारी योजनाओं के संचालन का केंद्र न बने वरन लोगों को वास्तव मे स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए।
पूर्व युवा कांग्रेस जिलाअध्यक्ष योगेश सराफ गोलू ने बताया कि अगर आंकडों पर गौर किया जाए तो मूलभूत सुविधा न होने के कारण कई मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
अधिकांश मरने वालों की उम्र 13 साल से लेकर 65 साल की है। स्वस्थ्य लोग भी हार्ट अटैक के शिकार हुए हंै। नगर मे यदि एमडी पदस्थ होता तो शायद कुछ हालत बदल सकते थे।
अधिवक्ता वेद पटैल, दिलीप ताम्रकार ने बताया कि 60 विस्तर वाले अस्पताल मे मात्र 30 बिस्तर की सुविधा उपलब्ध है। इसमे से 10 पलंग डिलेवरी के लिए रिजर्व रहते हैं। समाजसेवी पुष्पा सिंह, पूजा पटैल ने बताया कि यदि महिलाओं को मामूली भी बीमारी होती है, तो उसे इलाज के लिए दमोह-जबलपुर, नागपुर पहुंचना पड़ता है। छोटी-छोटी बीमारी के लिए धन और समय बहुत मात्रा मे खर्च हो रहा है। क्षेत्र विशेषकर आदिवासी बाहुल्य गांवों मे ऐसी भी महिलाएं हैं, जिनकी बच्चादानी का ऑपरेशन बहुत जरूरी है, लेकिन धन के अभाव के कारण ये महिलाएं छोटे-छोटे रोगों को बड़े-बडे रोगों मे बदलकर मौत को गले लगा रही हंै।
नहीं है कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर
सिविल अस्पताल के मापदंडानुसार यहां कम से कम एमडी, एमएस, शिशुरोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, नाक कान गला विशेषज्ञ होना चाहिए। यहां जब प्रतिदिन करीब 300 मरीज आते हंै, वहां ऐसी सुविधाएं प्राथमिकता के आधार पर मिलनी चाहिए जो नहीं मिल रही है।
लाखों के संसाधनों पर जम रही धूल
सिविल अस्पताल मे कई ऐसे संसाधन हैं, जिनका उपयोग गंभीर परिस्थिति मे किया जाता है, जैसे हार्ट अटैक के लिए ईसीजी मशीन उपलब्ध है, अटैक के दौरान सांस रुकने पर जिस पंपिग मशीन का उपयोग किया जाता है, वह अस्पताल मे उपलब्ध है, लेकिन उपयोग करने वाला कोई नहीं है। इसके अलावा मरीज की पल्स को देखने के लिए मॉनीटर मशीन भी है, यह सभी मशीनें स्टोर रूम की शोभा बढ़ा रही हैं। अस्पताल मे डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिसमे भर्ती मरीज को समय-समय पर इंजेक्शन दिया जाता है। एनेस्थीसिया मशीन भी उपलबध है, लेकिन हटा मे परिवार नियोजन के अलावा कोई ऑपरशन नही होते हैं। अस्पताल मे पड़ी आध्ुानिक ओटी टेबिल वर्षों से कागज पन्नी मे लिपटी रखी है। लाखों की मशीन व दवा उपलब्ध है, यह सब केवल प्रथम श्रेणी डॉक्टर ही उपयोग कर सकता है। अस्पताल मे केवल एक्स-रे मशीन चालू हालत में है, वह भी सही क्वालिटी का एक्स रे नहीं देता है।
वर्जन
हटा मे स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए लंबे समय से प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अभी तक व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है। शीघ्र ही समस्याओं के निराकरण के लिए पुन: प्रयास किए जाएंगे।
उमादेवी खटीक विधायक हटा

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