1977 में लगी थी कांग्रेस के गढ़ में सेंध
लगातार कांग्रेस पार्टी के ही प्रत्याशी यहां से लोकसभा चुनकर जाते रहे थे, इनके लगातार विजयी रथ को पन्ना राजघराने के नरेंद्र सिंह ने ब्रेक लगाया था। वह उस दौरान भारतीय लोकदल पार्टी से चुनाव लड़े थे और जीते थे। इसके बाद इन्हें टिकट नहीं मिली थीं, फिर 1984 में भाजपा से खड़े हुए थे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
1980 व 1984 फिर कांग्रेस का कब्जा
1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभुनारायण टंडन ने जनता पार्टी के विजय कुमार मलैया को शिकस्त दी थी। इसके बाद 1984 में सागर के डालचंद जैन ने कांग्रेस की टिकट लेकर जीत हासिल की थी। इसके बाद वे दो लोकसभा चुनाव लड़े उन्हें सफलता नहीं मिली और हार का सामना करते रहे।
1989 से बनी है भाजपा का मजबूत गढ़
दमोह लोकसभा में 1989 में पहली बार भाजपा को पन्ना राजघराने के लोकेंद्र सिंह ने ही जीत दिलाई थी। इसके बाद भाजपा को मजबूती प्रदान में डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया का योगदान माना जाता है, जो 1991 से 1999 तक लगातार चार बार विजयी पताका फहराते रहे, इस दौर में ही जातिय गणित के तौर कुर्मी समाज के वोटबैंक लोगों के सामने उभरकर आया था। इस दौर में इनसे कांग्रेस के डालचंद जैन, मुकेश नायक व तिलक सिंह लोधी दो बार चुनाव हारे थे।
2004से अब तक लोधी वोट बैंक के प्रत्याशी
2004 में डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया का टिकट काटकर चंद्रभान सिंह को टिकट दी गई और वह चुनाव जीत गए थे, तब से अब तक 2009 में शिवराज सिंह लोधी व वर्तमान में प्रहलाद सिंह लोधी सांसद हैं। पिछले 10 सालों से लोधी समुदाय ने अपने वोट बैंक का परचम फहाराया है, इस जाति के वर्तमान में दमोह लोकसभा की आठ सीटों में से चार प्रत्याशी विधायक हैं। इसके अलावा जिला पंचायत दमोह में भी इसी जाति के प्रत्याशियों का दबदबा है।
दमोह जिले से तीन बने सांसद
दमोह जिले में निवासरत नेता ऐसे ही तीन नेता रहे हैं, जो लोकसभा में चुनकर पहुंचे हैं, जिनमें दमोह के प्रभुनारायण टंडन, हटा सकौर निवासी डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया व मझगवां हंसराज मूल के जबलपुर निवासी चंद्रभान सिंह लोधी ही शामिल हैं। वर्तमान में सांसद प्रहलाद पटैल नरसिंहपुर जिले से हैं।
अब पार्टी का फोकस तीन जातियों पर
1991 से 1999 तक कुर्मी समाज का जातिय आधार पर दबदबा रहा, इसके बाद 2004 से अब तक लोधी समाज का दबदबा बना हुआ है। कांग्रेस व भाजपा का मुख्य फोकस इन्हीं समाजों के नेताओं पर हो रहा है। इन दोनों जातियों के अलावा इस बार ब्राह्मण समाज के वोट बैंक पर चर्चाएं की जा रही हैं। जिससे भाजपा व कांग्रेस इन्हीं तीनों जाति में से ही अपने प्रत्याशी चुनेंगे। वैसे इस लोकसभा में पैराशूटी उम्मीदवार भी पार्टियों द्वारा भेजे जाते हैं, जिससे इस बार यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बड़े नेताओं को भी यहां मैदाने जंग में भेजा जा सकता है।
दमोह लोकसभा : 1952 से 2014 तक दमोह से कौन जीता और कौन हारा चुनाव, यहां जानें
1952- सहोद्रा राय – कांग्रेस विजयीचिंतामन राय- जनसंघ हारे
1957- ज्वाला प्रसाद जिजोतिया- कांग्रेस विजयी
सहोद्रा राय- कांग्रेस हारी
1962- सहोद्रा राय-कांगे्रस विजयी
राजाराम-जनसंघ हारे
1967- मणिभाई पटेल- कांग्रेस विजयी
वाचस्पति शर्मा-जनसंघ हारे
1972- बारहागिरी शंकर गिरी- कांग्रेस जगजीवन राम जीते
विजय कुमर मलैया, कांग्रेस निजलिगप्पा हारे
1977- नरेंद्र सिंह- भारतीय लोकदल जीते
विठ्ठल भाई पटैल- कांग्रेस हारे
1980-प्रभुनारायण टंडन- कांग्रेस जीते
विजय कुमार मलैया- जनता हारे
1984- डालचंद जैन- कांग्रेस जीते
नरेंद्र सिंह, भाजपा हारे
1989- लोकेंद्र सिंह- भाजपा जीते
डालचंद जैन- कांग्रेस हारे
1991- डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया-भाजपा जीते
डालचंद जैन-कांग्रेस हारे
1996- डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया-भाजपा जीते
मुकेश नायक- कांग्रेस हारे
1998- डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया-भाजपा जीते
नरेश जैन- कांग्रेस हारे
1999- डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया-भाजपा जीते
तिलक सिंह लोधी-कांग्रेस हारे
2004- चंद्रभान सिंह लोधी- भाजपा जीते
तिलक सिंह लोधी- कांग्रेस हारे
2009- शिवराज सिंह लोधी- भाजपा जीते
चंद्रभान सिंह लोधी- हारे
2014- प्रहलाद सिंह पटैल- भाजपा जीते
महेंद्र प्रताप सिंह- कांग्रेस हारे