पुलिस मुख्यालय द्वारा इस संबंध में एसपी स्तर से प्रस्ताव तैयार कराकर मंगाए गए हैं। बताया गया है कि जल्द ही इस नई रणनीति के तहत साइबर पुलिस थाने संचालित होंगे। इधर इस नई व्यवस्था का सीधा फायदा आमजन को मिलेगा और कम समय में प्रकरणों का निराकरण होगा।
एसपी श्रुतकीर्ति ने बताया कि टॉस्क जोन्स वाले मामलों में ज्यादातर मामलों में ट्रांजेक्शन क्रिप्टो करेंसी के जरिए होता है। ऐसा ट्रांजेक्शन इंटरनेशनल लेवल पर हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी के बहुत से ऐसे एक्सचेंज हैं जिसमें लोग अपने बैंक खाते से पैसों को क्रिप्टो करेंसी में कन्वर्ट कर लेते हैं और किसी दूसरे को देते हैं। दूसरा व्यक्ति क्रिप्टों करेंसी को अपने खाते में इनकेश करता है। क्रिप्टो करेंसी के भारत में आने के बाद इंटरनेशनल फ्रॉड सामने आए हैं।
दमोह से भेजा गया प्रस्ताव
एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया है कि पुलिस मुख्यालय को दमोह में साइबर पुलिस थाना की पृृथक स्थापना संबंधी प्रस्ताव तैयार कर भेजा जा चुका है। उम्मीद है कि शीघ्र ही इस पर कार्य शुरू होगा। उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम रेट तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें फ्रॉड के सर्वाधिक मामले होते हैं।
अलग से होगा स्टाफ
साइबर पुलिस थानों में काम करने वाले पुलिस कर्मियों, प्रभारियों की पदस्थापना अलग से होगी। यह ठीक उसी तरह से होगा, जैसे वर्तमान में जिला स्तर पर महिला पुलिस थाना संचालित हैं। बताया गया है कि तकनीकी ज्ञान रखने वाले कर्मचारियों को साइबर पुलिस थानों में पदस्थ किए जाने की प्राथमिकता होगी, इसका सीधा फायदा आमजन को मिलेगा। फिलहाल में ठगी की घटना की रिपोर्ट क्षेत्रीय पुलिस थानों में होती है। चूंकि पुलिस थानों में पहले से ही आपराधिक प्रकरणों का भार अधिक है, इसलिए फ्रॉड के मामलों के निपटारे में विलंब हो जाता है। लेकिन जब अलग से पुलिस थाना संचालित होगा, तो वहां सिर्फ साइबर से जुड़े अपराधों की रिपोर्ट दर्ज होगी।