फांसी से पहले तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों गुनहगारों को नहलाया और फिर खाने के लिए चाय व बिस्कुट दिए। वहीं, फांसी के आखिरी समय तक भी दोषियों में से एक अक्षय का आठ वर्षीय बेटा अपने जिंदा बाप की शक्ल नहीं देख पाया।
वहीं, उसकी पत्नी भी अपने पति से आखिरी मुलाकात के लिए अदालत और जेल प्रशासन के सामने गिड़गिड़ाती रही।
हालांकि इससे पहले कोर्ट और जेल प्रशासन के कहने के बावजूद भी उन्होंने अक्षय से मिलने से मना कर दिया था।
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आपको बता दें कि निर्भया गैंगरेप के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता देवी और उसका आठ वर्षीय बेटा उससे मिलना चाहता था।
बिहार के औरंगाबाद की रहने वाली पुनीता देवी अपने बेटे को उसके बाप से मिलाने दिल्ली पहुंची थी।
लेकिन आखिरी समय में कोर्ट ने पुनीता और उसके बेटे को अक्षय ठाकुर से मिलने की अनुमति नहीं दी। हालांकि अक्षय ठाकुर के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से अक्षय के बेटे को उसके बाप से मिलाने की अनुमति मांगी, लेकन कोर्ट से साफ इनकार कर दिया।
इस बीच अक्षय की पत्नी पटियाला हाउसकोर्ट के बाहर फूट-फूटकर रोने लगी। उसने रोते हुए कहा कि मुझे और मेरे नाबालिग बेटे को भी फांसी पर लटका देना चाहिए।
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अपने आठ साल के बच्चे के साथ दिल्ली पहुंची अक्षय की पत्नी ने जज से कहा कि मेरे साथ अन्याय हुआ है इसलिए ”मुझे और मेरे बेटे को भी फांसी लटका दो। अब हम कैसे जी पाएंगे?