एसएसपी ने पेश की दलील, कोर्ट नहीं हुई संतुष्ट- शुक्रवार सुबह कोर्ट के निर्देशानुसार साढ़े दस बजे डीजीपी, कुलपति, प्रॉक्टर, रजिस्ट्रार और एसएसपी जस्टिस विक्रम नाथ व राजेश सिंह चौहान की बेंच के सामने पेश हुए। इस दौरान कोर्ट ने प्रॉक्टर के घर पर रात 12 बजे धमकी दिए जाने की घटना को लेकर दर्ज एफआईआर पर अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी। एसएसपी लखनऊ ने कोर्ट के समक्ष अपनी सफाई पेश की, लेकिन कोर्ट उससे संतुष्ट नहीं हुई। साथ ही कोर्ट ने वीसी और प्रॉक्टर को पूरी घटना का ब्योरा एक सप्ताह के भीतर हलफनामे में देने के निर्देश दिए।
डीजीपी-एसएसपी को लगी जमकर फटकार-
डेढ घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पहले लखनऊ यूनिवर्सिटी के वीसी, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर को बुलाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। इसके बाद डीजीपी और एसएसपी लखनऊ से की गई कार्रवाई के बारे में पूछा। इसके बाद डीजीपी और एसएसपी से नाराजगी जताते हुए कहा कि घटना के समय 50 मीटर की दूरी पर पुलिस मौजूद थी, लेकिन वह सोती रही। एसएसपी ने इसके जवाब में कहा कि मारपीट की घटना राजनीति से प्रेरित थी। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कोर्ट ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि आजकल सभी राजनीतिक दलों का यही काम रहा गया है। अदालत ने कहा कि क्या अब यही व्यवस्था चलेगी जिसमें शिक्षकों को अपराधी आकर पीट जाए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूनिवर्सिटी परिसर में शिक्षकों की खुलेआम पिटाई हुई।
समिति बनाने का दिए निर्देश- इस तरह की घटनाएं दोबारा न होने इसके लिए कोर्ट ने मुख्य सचिव को एक समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई होगी।