कार्रवाई की जानकारी देते हुए एंटी करप्शन डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि क्लर्क के खिलाफ शिकायत मिली थी। जिसके बाद उसके खिलाफ जाल बिछाया गया। फिर उसे दो लाख रुपए घूस लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया गया। पकड़ में आए घूसखोर क्लर्क की पहचान इंद्रजीत के रूप में हुई है। जो एमसीडी में कार्यरत है। बताया जाता है कि घूसखोरी मामले में रंगेहाथों गिरफ्तार किए जाने के बाद अब उसपर विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है।
दूसरी ओर घूसखोरी के इस मामले का पर्दाफाश करने में उस शख्स की सबसे बड़ी भूमिका है, जिससे क्लर्क ने घूस मांगा था। बताया गया कि दिल्ली के सिविल लाइन्स इलाके में एमसीडी ने 26 लाख रुपए की एक संपत्ति अटैच की थी। इस संपत्ति पर 20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। जिसे घूस की लालच में आरोपी क्लर्क ने घटाकर 5.16 लाख रुपए कर दिया गया था। बताया गया कि शुरुआत में जुर्माने की भारी रकम को देखकर पहले तो शख्स परेशान हुआ लेकिन बाद में किसी दलाल के जरिए क्लर्क से उसका परिचय हुआ।
20 लाख के जुर्माना का 10 परसेंट घूस में लेने की बात कहकर क्लर्क इंद्रजीत ने केस को मैनेज कराने की बात कही। जिसके बाद शख्स ने मामले की शिकायत एंटी करप्शन डिपार्टमेंट में की। जहां पूरी जानकारी देने के बाद जब पहले से तय प्लान के अनुसार घूस लेते समय ही क्लर्क को गिरफ्तार किया गया। बता दें कि एमसीडी सहित अन्य सरकारी विभागों में किसी भी काम के लिए महीनों तक चक्कर लगाना होता है। लेकिन घूस देते ही कैसा ही काम हो जल्द हो जाता है।