दावा किया जा रहा है कि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में असम पुलिस ने ताबड़तोड़ कई एनकाउंटर किए। हालांकि, इन एनकाउंटर को कुछ लोग और संगठन फर्जी बता रहे हैं और इसकी शिकायत भी की है। दिल्ली के एक वकील आरिफ ज्वादर ने भी दावा किया है कि बीते करीब 40 दिन में यानी एक जून से अब तक राज्य में 20 एनकाउंटर हुए हैं, जो फर्जी हैं। वकील के मुताबिक, ये एनकाउंटर हिरासत में भाग रहे अपराधी और पुलिस के बीच हुए या फिर छापेमारी के दौरान अपराधियों की ओर से की गई फायरिंग के जवाब में पुलिस की ओर से किए गए हैं। इनमें लगभग पांच घटनाओं में एक आरोपी मारा गया।
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इसके अलावा, गत रविवार को भी दो एनकाउंटर हुए। इनमें एक असम के नौगांव के कोकराझार में पुलिस ने एक आरोपी को मार गिराया। दावा किया जा रहा है मरने वाला व्यक्ति डकैत था। एक अन्य घटना में ड्रग डीलर को गिरफ्तार कर लिया गया। वकील आरिफ ने इस बारे में मानवाधिकार आयोग में इसकी शिकायत भी की है। आरिक के अनुसार, असम पुलिस छोटे-मोटे अपराधियों को फर्जी एनकाउंटर में मार रही है। दावा है कि वे पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास कर रहे थे।
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वकील आरिफ का आरोप है कि ये सभी छोटे अपराधी हैं। इनमें कोई पशुओं की तस्करी करता है, तो कोई मादक पदार्थों की तस्करी करता है। कोई डकैत है तो कोई चोर। इनमें कोई भी आतंकी नहीं है और ऐसा लगता है कि ये हथियार चलाना भी नहीं जानते होंगे। वकील ने अपनी शिकायत में यह भी दावा किया है कि ऐसा संभव नहीं लगता कि वे पुलिस से उसकी पिस्टल छीनकर चला रहे होंगे, क्योंकि उनके सामने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी होंगे और भारी मात्रा में हथियार होंगे। इस बात पर भी यकीन करना मुश्किल है कि सभी आरोपी पूर्ण प्रशिक्षित पुलिस अफसरों से उनकी पिस्टल छीन सकते हैं, क्योंकि पिस्टल एक रस्सी के जरिए पुलिसकर्मी की कमर से बंधी होती है।