यूपी के भदोही के मूल निवासी यशस्वी जायसवाल काफी छोटी उम्र में अकेले ही मुंबई चले गए थे। जहां उन्होंने काफी कठिनाइयों का सामना किया। पॉकेट मनी के लिए उन्हें गोल गप्पे तक बेचने पड़े और तंबू में भी रहना पड़ा, लेकिन कड़े संघर्षों के बाद अब उन्होंने वह मुकाम हासिल कर लिया है। कभी गुमनामी में जीने वाले इस युवा क्रिकेटर को आज हर कोई जानता है।
पिता से बात कर फूट-फूटकर रोए यशस्वी
वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने के बाद यशस्वी जायसवाल ने भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े चार बजे पिता भूपेंद्र जायसवाल को फोन किया, जो कि भदोही में ही छोटी सी पेंट की दुकान चलाते हैं। भूपेंद्र जायसवाल ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया कि यशस्वी ने शतक लगाने के बाद सुबह करीब 4.30 बजे वीडियो कॉल किया।
वह बात करते-करते बेहद भावुक हो गया और फूट-फूटकर रोने लगा। इस खुशी में वह भी अपने अपने आंसू नहीं रोक सके। उन्होंने बताया कि उससे ज्यादा देर तक तो बात नहीं हो सकी। क्योंकि वह बहुत थका हुआ था। उसने मुझे सिर्फ इतना कहा… पापा आप खुश हैं ना…।
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यशस्वी ने बनाए ये रिकॉर्ड
बता दें कि यशस्वी जायसवाल टेस्ट डेब्यू पर 150 रन बनाने वाले 5वें सबसे कम उम्र के बल्लेबाज बने हैं। इसके साथ ही विदेशी धरती पर डेब्यू टेस्ट में शतक लगाने वाले वह पहले भारतीय बल्लेबाज भी बने हैं।
यशस्वी ने मोहम्मद अजहरुद्दीन का एक रिकॉर्ड भी तोड़ा है, वह डेब्यू टेस्ट में सर्वाधिक गेंदों का सामना करने वाले भारतीय खिलाड़ी भी बने हैं। डोमिनिका टेस्ट में यशस्वी ने 387 गेंदों का सामना करते हुए 16 चौके और एक छक्के की मदद से 171 रनों की पारी खेली है।