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‘आईसीसी हॉल ऑफ फेम’ में वीनू मांकड़ भी
भारत के सबसे महान ऑलराउंडरों में से एक वीनू मांकड़ को भी ‘आईसीसी हॉल ऑफ फेम’ में जगह दी गई है। माकंड़ ने 44 टेस्ट खेले हैं, जिसमें उन्होंने 2,109 रन बनाए हैं और 162 विकेट लिए है। उनकी सबसे बड़ी पारी 1952 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ था जब उन्होंने 72 और 184 रन बनाए और मैच में 97 ओवर फेंके थे। वह अपने टेस्ट कॅरियर के दौरान हर स्थिति में बल्लेबाजी करने वाले केवल तीन क्रिकेटरों में से एक हैं। बाद में वह अपने देश के एक अन्य महान क्रिकेटर और साथी ‘आईसीसी हॉल ऑफ फेम’ के सदस्य सुनील गावस्कर के कोच भी रहे।
‘मांकड़ से क्रिकेट का सबसे बड़ा सबक सीखा’
संगकारा और मांकड़ के अलावा दक्षिण अफ्रीका के एब्रे फॉक्नर, ऑस्ट्रेलिया के मोंटी नॉब्ले, वेस्टइंडीज के सर लैरी कोंस्टेटाइन, ऑस्ट्रेलिया के एस्टन मैक्केबे, इंग्लैंड के टेड टेक्सटर, वेस्टइंडीज के डेसमंड हेयनस, इंग्लैंड के बॉब विलिस और जिम्बाब्वे के एंडी फलॉवर शामिल हैं। मांकड़ को बहुत सम्मान देने वाले पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि उन्होंने उनसे क्रिकेट का सबसे बड़ा सबक सीखा। गावस्कर ने कहा, वीनू मांकड़ की विरासत महत्वाकांक्षी भारतीय क्रिकेटर को खुद पर विश्वास करने के लिए कहने की रही है। वे आत्म-विश्वास के प्रबल समर्थक थे।
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‘चयनकर्ताओं का ध्यान खींचने के लिए रन बनाने जरूरी’
गावस्कर ने कहा, वह वही थे जो मुझसे कहते रहे कि आपको रन बनाते रहने और उस पर बने रहने की जरूरत है। जब आप 100 बना लेते हैं, तो चयनकर्ता के दरवाजे पर दस्तक दें। यदि यह अनसुने हैं, तो वह दोहरा शतक बनाएं और उस दस्तक को और भी तेज होने दें। आपके पास सबसे अच्छी तकनीक हो सकती है, लेकिन अगर आपके पास इसका समर्थन करने का स्वभाव नहीं है तो आप सफल नहीं होंगे, आपको वहीं लटके रहना होगा और उस आत्म-विश्वास को रखना होगा। यही सबसे बड़ा सबक था जो मैंने उनसे सीखा। ‘आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम’ की शुरुआत दो जनवरी 2009 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर संघों के संघ के सहयोग से आईसीसी के शताब्दी वर्ष समारोह के भाग के रूप में लॉन्च किया गया था।