टीम इंडिया की करारी हार के लिए उन्हें भी जिम्मेदार माना जा रहा था। ऐसे में उनके सामने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव था। ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर चुनौतियां अलग थीं, क्योंकि मेजबान टीम के पास शानदार तेज गेंदबाजी आक्रमण था। यशस्वी ने फॉर्म में वापसी करने और ऑस्ट्रेलियाई पेसरों से निपटने के लिए नई रणनीति के साथ अभ्यास किया।
दो दिन घर नहीं गए, स्टेडियम में ही रुके रहे
एक रिपोर्ट के तहत, ऑस्ट्रेलिया दौरे की तैयारी के लिए यशस्वी जायसवाल दो दिन तक घर नहीं गए। वह घर के पास ठाणे स्टेडियम में ही रुके रहे और कंक्रीट की स्लैब पर सिंथेटिक गेंदों के साथ अभ्यास किया। जायसवाल ने कंक्रीट की स्लैब पर थ्रो डाउन के जरिए दो दिन में 200 ओवर से ज्यादा बल्लेबाजी की। इस दौरान गेंद शरीर के साथ ऑफ स्टंप्स को निशाना बनाकर डाली गईं।145 किमी रफ्तार की गेंदों का सामना
अभ्यास के दौरान यशस्वी को करीब 145 किसी की रफ्तार से गेंद फेंकी गई, क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई पेसरों की गति भी लगभग इतनी ही है। कंक्रीट की स्लैब को 45 डिग्री के कोण पर गुड लेंथ से थोड़ा पीछे रखा गया। यशस्वी ढाई घंटे तक लगातार बल्लेबाजी का अभ्यास करते थे।आखिर कंक्रीट की पिच पर अभ्यास क्यों…
पहले भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड जाने से पहले कंक्रीट की पिच पर 15 गज की दूरी से बल्लेबाजी का अभ्यास किया करते थे लेकिन कंक्रीट की पिच पर गेंद को पर्याप्त उछाल नहीं मिल पाता था। ऐसे में कंक्रीट की स्लैब का इस्तेमाल किया गय। जिस पर गेंदबाजों को उछाल और गति दोनों मिलती है।यशस्वी ‘डैडी हंड्रेड’ बनाने वाले दुनिया के दूसरे खिलाड़ी बने
पर्थ. क्या आप जानते हैं कि ‘डैडी हंड्रेड’ क्या होता है? स्टार सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल के नाम टेस्ट करियर में चार डैडी हंड्रेड है और वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले दुनिया के सिर्फ दूसरे क्रिकेटर हैं। दरअसल, एक पारी में 150 या उससे अधिक रन की पारी को डैडी हंड्रेड कहा जाता है। यशस्वी ने टेस्ट करियर में कुल चार शतक लगाए हैं और हर बार उन्होंने 150 प्लस स्कोर बनाया है। यशस्वी के अलावा दक्षिण अफ्रीका के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज ग्रीम स्मिथ के नाम भी चार डैडी हंड्रेड हैं।टेस्ट में यशस्वी के शतक
171 वेस्टइंडीज209 इंग्लैंड
214 इंग्लैंड
161 ऑस्ट्रेलिया