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चित्तौड़गढ़

जानिए चित्तौडग़ढ़ में क्यों है प्रदेश का एकमात्र सैनिक स्कूल

वीरता, साहस, सम्मान, आजादी को जिंदा व गौरवशाली इतिहास को कायम रखने के लिए प्रदेश का पहला सैनिक स्कूल चित्तौडगढ़़ में स्थापित हुआ

चित्तौड़गढ़Jan 18, 2018 / 04:21 pm

manish gautam

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चित्तौडग़ढ़ सैनिक स्कूल परिसर

राकेश पाराशर @ चित्तौडगढ़़

कई सदियों से चित्तौड़ अपनी वीरता के लिए विख्यात रहा है। यहां के सिसोदिया वंश ने आजादी को जिंदा रखने के लिए साहस और सम्मान के साथ पारंपरिक मूल्यों को कायम रखा। चित्तौड़ को वीर प्रसूता धरती के नाम से भी विश्व में सम्मान मिला हुआ है। यहां के गौरवशाली इतिहास के कारण केन्द्र व राज्य सरकार ने प्रदेश का पहला सैनिक स्कूल स्थापित करने की स्वीकृति दी।
केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय ने सात अगस्त 1961 को देश में पहले पांच सैनिक स्कूलों की स्थापना के समय एक सैनिक स्कूल की स्थापना चित्तौडगढ़़ में की थी। चित्तौडगढ़़ का ये स्कूल राज्य का सबसे पहला व एकमात्र सैनिक स्कूल था।
देश में चित्तौड़़ का गौरव बढ़ा रहा सैनिक स्कूल चित्तौडगढ़़

शौर्य, वीरता की धरा के रूप में वैश्विक पहचान रखने वाले चित्तौडगढ़़ में स्थित राज्य का एकमात्र सैनिक स्कूल चित्तौडगढ़़ की शान बना है। देश की सेना को प्रमुख व दर्जनों उच्च सैन्य अधिकारी देने वाले चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल के कक्षा 12वीं में अध्ययनरत 27 छात्रों का कुछ माह पहले ही राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में प्रशिक्षण के लिए चयन हुआ है।
करीब 16 साल बाद एक साथ इतने बच्चों का चयन एनडीए में होने से चित्तौडगढ़़ का गौरव और बढ़ गया। देश के 65वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल को राष्ट्र के प्रति सेवा और समर्पण के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है। ये पुरस्कार 26 जनवरी 2014 को आयोजित राष्ट्रीय समारोह में राष्ट्रपति ने प्रदान किया था।

देश का नेतृत्व कर चुके है यहां के स्टूडेंट

स्थापना के बाद से ही इस सैनिक स्कूल ने देश की थल, जल व वायु सेना को बेहतरीन क्षमता वाले सैन्य अधिकारी दिए। सैनिक स्कूल में पढ़कर जनरल दलबीरसिंह सुहाग देश की सेना में सर्वोच्च पद पर पहुंचे।
वहीं लेफ्टिनेंट जनरल मांधाता सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल एटी पारनायक, लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल नरेन्द्रसिंह सहित कई अधिकारी चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल में पढ़ चुके हैं।

इनके अलावा अब तक कई ब्रिगेडियर, मेजर, मेजर जनरल, कर्नल, लेफ्टिनेंट कर्नल, कंपनी कमांडर आदि रैंक के करीब 1200 से ज्यादा सैन्य अधिकारी इसी सैनिक स्कूल में पढ़े हैं। वहीं यहां पढ़े छात्रों में से पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के रूप में भी सेवा दे रहे हैं।
16 साल पहले हुआ था 28 का चयन

चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल में इससे पहले वर्ष 2001 में 70 बच्चों ने एनडीए की परीक्षा दी थी। इनमें से उस समय 28 बच्चों का चयन हुआ था। सैनिक स्कूल को 16 साल बाद फिर से यह गौरव मिला है कि उसके इतने विद्यार्थी एनडीए में एक साथ जाएंगे।
सैनिक स्कूल के प्रिंसिपल कर्नल राजेश राघव ने बताया कि इस बार इस स्कूल के 48 बच्चों ने यूपीएससी की ओर से गत सितंबर में आयोजित एनडीए-2 की परीक्षा में भाग लिया था। इनमें से 27 बच्चे उत्तीर्ण हुए।
स्कूल के रजिस्ट्रार मेजर संजय चौधरी व हैड मास्टर लेफ्टिनेंट कर्नल अभिषेक झा ने बताया कि इससे पहले वर्ष 2016 तथा वर्ष 2015 में तीन-तीन बच्चों का चयन हुआ था।

ऐसे होता है सैनिक स्कूल में प्रवेश
चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए छठी कक्षा छह व नौंवी कक्षा पास करने के बाद विद्यार्थियों को इसमें प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए उन्हें सैनिक स्कूल की ओर से आयोजित प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू में भी पास करना जरुरी होता है।
इसके अलावा एनडीए में भर्ती होने के लिए 12 वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। आवेदन 12वीं में पढ़ते समय भी किया जा सकता है।

देश में चौथी रैंक रही थी चित्तौडगढ़़ स्कूल की
एनडीए में चयन के लिए सितंबर 2017 में हुई लिखित परीक्षा में पास हुए बच्चों के मामले में चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल देश में चौथी रैंक पर रहा है।

हिमाचल प्रदेश के सुजानपुरा टीरा का सैनिक स्कूल सबसे अव्वल रहा। यहां परीक्षा में बैठे 6 2 में से 40 छात्र पास हुए। चौथे स्थान पर रहे चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल के 48 बच्चों में ऐसे 27 पास हुए।

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