छिंदवाड़ा शहर के रेलवे स्टेशन रोड पर चार फाटक के पास यह मंदिर अपने आप में एक अलग ही विशेषता लिए हुए है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिरों में हनुमानजी की प्रतिमा दक्षिण मुख किए हुए होती है लेकिन इस मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा का मुंह पूर्व की तरफ है। मंदिर में हनुमानजी का विग्रह सिर्फ सिर का आकार लिए हुए ही है। कहा जाता है देश में अयोध्या में हनुमानजी के मंदिर की प्रतिमा है जिसमें उनका मुंह पूर्व की तरफ है और दूसरा मंदिर यह केसरीनंदन मंदिर है।
हनुमानजी के इस रूप की पूजा करने और उनसे आशीर्वाद लेने तो यहां लोग पहुंचते ही हैं लेकिन सबसे खास बात है यहां अर्पित किए जाने वाले नारियल। इस मंदिर में हनुमानजी को अर्पित किए जाने वाले नारियलों को फोड़ा नहीं जाता बल्कि उन्हें झालर के रूप में लटका दिया जाता है। नारियलों की झालर इतनी है कि गिनना असंभव मंदिर के प्रवेश द्वार पर नारियल की ही झालर वंदनवार के रूप में लगी मिलती है।
जैसे-जैसे मंदिर में अंदर प्रवेश करते हैं श्रद्धालुओं के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता। कहीं मंदिर के अंदर के खंभों पर चारों तरफ नारियल लगे हैं तो दीवारें तो नारियल से बनी हुई ही लगती हैं। ये नारियल कब से यहां लगाए जा रहे हैं और इनकी संख्या कितनी है यह कोई नहीं बता सकता। जो श्रद्धालु यहां आते हैं कुछ श्रद्धानवत होकर नारियल अर्पित करते हैं तो कुछ मन्नत पूरी होने के बाद वे सभी नारियल मंदिर परिसर के खाली स्थान पर लगा दिए जाते हैं। यही कारण है कि यह मंदिर नारियल वाले हनुमान मंदिर के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है।
वर्षों से यह क्रम चल रहा है और मंदिर में हजारों नारियल लटके दिख रहे हैं। खास बात यह कि इसमें से एक भी नारियल टूटा नहीं है। हनुमान जंयती के दिन मंदिर से विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है और प्रसाद भी भक्तों में बांटा जाता है। इस मंदिर में केसरीनंदन हनुमान अपने भक्तों की अर्जी भी सुनते हैं और मान्यता है कि उन्हें पूरा भी करते हैं। मंदिर में अपनी इच्छा को एक कागज में लिखकर भक्त मंगलवार के दिन उनके चरणों में रख देते हैं। ऐसा माना जाता हैकेसरीनंदन उस इच्छा को पूरी करते हैं। मंदिर में लोगों की लिखी लाखों अर्जियां अभी भी सहेजकर रखी जाती हैं उन्हें फाड़ा या नष्ट नहीं किया जाता। लाखों अर्जियां मंदिर परिसर में सुरक्षित रखी हुई हैं।