बीती 17 नवम्बर को हुए मतदान से मतगणना तक इंतजार 16 दिन का है। इस तिथि के 13 दिन हो गए हैं। मतदान और मतगणना के बीच इतना अंतर हर किसी को बेचैन कर रहा है। जिले में सात विधानसभा सीटों पर 78 प्रत्याशी चुनाव मैदान में रहे। उन्होंने हर मतदाताओं तक पहुंचने में कड़ी मेहनत की। अब परिणाम की बेसब्री का एक-एक दिन भारी पड़ रहा है। हर तरफ सिर्फ एक ही चर्चा है, किसकी सरकार बन रही है और अपने क्षेत्र से कौन जीत रहा है। इस सवाल का प्रत्याशियों की रातों की नींद और दिन का सुकून गायब हो गया है। हर विधानसभा में बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत ने अलग हालत खराब कर दी है।
किसी ने की तीर्थयात्रा तो कोई परिजन के साथ
मतदान की थकान के बाद कुछ प्रत्याशियों ने जैसे-तैसे परिवारजनों के साथ समय काटा तथा तीर्थ यात्रा भी की। इंतजार का ये अंतिम सप्ताह भारी पड़ रहा है। ज्यादातर प्रत्याशी अलग-अलग क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं के साथ मतदान के आधार पर जीत हार का गणित लगा रहे हैं। कहीं मतगणना एजेंटों के साथ बैठक हो रही है। हर कोई जवाब पाने के लिए हर कोई बेताब है
कांग्रेस में चरम पर आत्मविश्वास तो भाजपा भी पीछे नहीं
कांग्रेस दफ्तर में जाओ तो उनके नेता-कार्यकर्ताओं में सरकार बनने का आत्मविश्वास चरम पर है। भाजपा कार्यालय के बीच जाओ तो वे भी कान्फीडेंस में कह देते हैं कि फिर से सरकार बन रही है। इस अलग-अलग दावे के बीच सिर्फ आकलन हो रहा है। इसका फायदा सिर्फ सटोरिए को मिल रहा है। उनके पास लाखों-करोड़ों रुपए के दांव लग गए हैं। गुरुवार 30 नवम्बर को एक्जिट पोल आने पर चर्चाओं का बाजार बढ़ जाएगा।