समझ नहीं आ रही भाजपा की रणनीति
जनमानस में यह चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का नाम छिंदवाड़ा विधानसभा से तय है, तो वहीं ज्यादातर कांग्रेस विधायकों का नाम भी रिपीट होना तय है। फिर भाजपा नेतृत्व के चौरई की टिकट रोकने की रणनीति समझ नहीं आ रही है। चौरई से लेकर छिंदवाड़ा के चौक-चौराहे पर इसकी चर्चा हो रही है। लोग टिकट रोकने का कारण जानने को उत्सुक है। टिकट दावेदारों के समर्थक भी बार-बार ये सवाल सुनकर अपना मोबाइल बंद रखने लगे हैं।
चौरई विधानसभा सीट बार-बार छोड़ना चर्चा का विषय
राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार भाजपा नेतृत्व ने 57 सीट में पड़ोसी जिले सिवनी की टिकट भी जारी की। प्रदेश के दिग्गज नेताओं के भी नाम दिए। फिर चौरई विधानसभा क्षेत्र को बार-बार छोडऩा कौतुहल का विषय है। यह प्रदेश में कोई ऐसी खास भी नहीं है, जिसके लिए पार्टी चार बार मंथन करने के बाद भी टिकट का हल नहीं निकाल पाए। यह सही है कि वर्तमान में दो दावेदार तो मुख्य रूप से सामने आ रहे हैं। इसके अलावा भी सामाजिक समीकरण के आधार पर तीन अन्य नेताओं ने भी टिकट मांगा है। इनमें से किसी एक का टिकट फाइनल होना है। फिलहाल टिकट का पेंच फंसने से दावेदारों की बेचैनी कायम है। दूसरी छह विधानसभाओं की तरह वे पार्टी के प्रचार-प्रसार पर ध्यान फोकस नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी की गुटबाजी को अलग हवा मिल रही है।