छिंदवाड़ा/नागपुर. वो दिन दूर नहीं जब एमबीबीएस डॉक्टरों को अलग पहचान मिलेगी। साथ ही इससे लोगों को सहूलियत भी कि वे आसानी इन तक पहुंच सकेंगे। दरअसल देश में विभिन्न पैथी में डॉक्टर लिखने की परम्परा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। ऐसे में लोगों को सही विशेषज्ञ की पहचान करने में और उस तक पहुंचने में कई व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब एमबीएसएस डॉक्टरों को अगल पहचान देने की तैयारी करीब-करीब पूरी हो चुकी है। ऐसे डॉक्टरों को अब नया लोगों दिया जाएगा।
नागपुर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एमबीबीएस करने वाले डॉक्टरों के लिए एक नया लोगो आ रहा है। इसका उपयोग अब सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर ही कर सकेंगे। इस लोगो के उपयोग के लिए एनओसी मिल गई है और सिर्फ पंजीयन कराना शेष है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि देशभर में सभी पैथी में शिक्षित नाम के आगे डॉ. लगाते हैं। इनमें होमियोपैथी, आयुर्वेद, फिजियोथेरेपी आदि शामिल हैं। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एसोसिएशन ने इसका विरोध किया था और कहा कि आयुर्वेद वाले वैद्य और अन्य अपनी पैथी के अनुसार लिखें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोई भी इसके लिए तैयार नहीं है। इसलिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपना अलग लोगो लाने पर विचार किया।
एनओसी के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था की मांग
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि एक डॉक्टर को घर में बैठने के लिए भी कई एनओसी लगती है। इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलता है। इसकी शिकायत कर मांग की गई है कि क्लीनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट के साथ सारी एनओसी के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था की जाए।
एक ही दवा अलग-अलग कई नाम से
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ज्यादातर दवा कम्पनी एक ही दवा कई नाम से अलग-अलग बेचती है। इनकी कीमतों में बहुत ज्यादा अंतर होता है। लोग डॉक्टर को दोष देते हैं कि वह महंगी दवाएं लिख रहा है। जबकि कम्पनी को ऐसा करने की अनुमति सरकार देती है। उस पर ही रोक लगनी चाहिए।
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