बिचौलियों के हाथों में 99 प्रतिशत व्यापार
पूरे जिले में लघु वनोपजों का 99 प्रतिशत व्यापार बिचौलियों के हाथों में हैं। वे वनवासियों से अत्यंत कम मूल्य पर वनोपज खरीदते हैं। इससे कभी भी इन लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है। कीमती वन संपदा होने पर भी गरीब बने हुए हैं।
छिंदवाड़ा में 53 वानिकी प्रजातियां मौजूद
जैव विविधता बोर्ड के अनुसान जिले के 11,815 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में 3.51 लाख हेक्टेयर यानि 29.73 प्रतिशत हिस्से में जंगल है। इनमें 53 वानिकी प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से 32 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया था।
ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर बेचेंगे वनोपज
वन अधिकारियों का कहना है कि लघु वनोपज को बिचौलिए से बचाने अब उसकी मार्केटिंग ई-कामर्स प्लेटफार्म पर बनाने की कार्ययोजना बनाई गई है। यहां की आचार- चिरौंजी, शहद, आंवला, हर्रा, बहेड़ा, महुआ, अर्जुन, कोदो, कुटकी, ज्वार, मक्का और उनके सहउत्पाद हाल ही भोपाल के अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में भेजे गए थे। अब ये वन उत्पाद अब शीघ्र ही ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध होंगे। इससे वनवासियों की कम दाम की शिकायतों को दूर किया जा सकेगा।
वर्ष 2019 में तय किए गए थे समर्थन मूल्य
वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2019 में 32 लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य तय किए गए थे। उसके अनुरूप ही खरीदी होना था। इसके लिए वन विभाग की ओर से 24 अपनी दुकानों का निर्माण किया गया था। ये दुकानें कुछ स्थानों पर ही चल सकी।
तेन्दुपत्ता संग्रहण में अब चार हजार रुपए मानक बोरा की मजदूरी के आदेश आ गए हैं। इसका लाभ मई 2024 में होने वाले तेन्दुपत्ता संग्रहण में मजदूरों को मिलेगा। इससे लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य के आदेश का इंतजार हैं।
ब्रिजेन्द्र श्रीवास्तव, डीएफओ पूर्व वनमण्डल