राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय को खुले हुए लगभग पांच साल हो चुके हैं। इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय के भवन के लिए कामकाज शुरु नहीं हो पाया है। शासन की लगातार उपेक्षा से यह स्थिति निर्मित हुई है। हालांकि सरकार विश्वविद्यालय का नाम गोंड राजा के नाम पर रखकर आदिवासी मतदाताओं को रिझाने का काम कर चुकी है। शहडोल में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम ले चुके हैं। कहा था कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय का नाम देकर भाजपा सरकार ने आदिवासियों को सम्मान दिया। जबकि जमीनी हकीकत देखें तो विश्वविद्यालय महज परीक्षा के आयोजन एवं परिणाम देने तक सीमित रह गया है। अगर विवि का भवन होता तो कई गतिविधियां होती और विद्यार्थियों को फायदा पहुंचता।
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शासन को देना होगा विशेष ध्यान
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय ने अब तक सीमित संसाधन में कामकाज संभाला है। जबकि इस विश्वविद्यालय से सिवनी, बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा जिले के कॉलेज संबंद्ध हैं। शासन को अब इस विश्वविद्यालय पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्रर्याप्त बजट देकर भवन जल्द से जल्द बनने एवं स्टॉफ की नियुक्ति से ही छिंदवाड़ा जिले में उच्च शिक्षा बेहतर से बेहतर हो पाएगी। विद्यार्थियों का पलायन रूकेगा।