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छतरपुर

मेडिकल कॉलेज में डीन की अब तक नहीं हो पाई नियुक्ति, अगले साल भी एडमिशन की संभावना कम

मेडिकल कॉलेज निर्माण और डीन की नियुक्ति में देरी के चलते अब एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एडमिशन 2025 में होने की संभावना कम है। दो बार के टेंडर के बाद 247 करोड़ लागत से कैंपस निर्माण किया जा रहा है। लेकिन तय लक्ष्य 2024 तक कैंपस नहीं बन सका है। इधर डीन की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है।

छतरपुरNov 14, 2024 / 10:46 am

Dharmendra Singh

medical college

मेडिकल कॉलेज कैंपस निर्माण

छतरपुर. मेडिकल कॉलेज निर्माण और डीन की नियुक्ति में देरी के चलते अब एमबीबीएस प्रथम वर्ष में एडमिशन 2025 में होने की संभावना कम है। दो बार के टेंडर के बाद 247 करोड़ लागत से कैंपस निर्माण किया जा रहा है। लेकिन तय लक्ष्य 2024 तक कैंपस नहीं बन सका है। इधर डीन की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है। जिससे 2025 में ही एमबीबीएस की पढ़ाई की संभावना कम है। इसके पहले इन कालेजों के लिए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी पूरी करनी होगी, जिससे एमसीआई इन्हें संचालित करने के लिए अनुमति दे सके।

डीन की नियुक्ति अब तक नहीं


मेडिकल कॉलेज के संचालन के लिए 1200 कर्मचारियों की नियुक्ति जरूरी है। इसमें 155 टीचिंग स्टाफ रहना चाहिए। इनमें लैक्चरर और प्रोफेसर शामिल हैं। इसके अलावा पैरामेडिकल स्टाफ, क्लेरिकल और चतुर्थ श्रेणी स्टाफ भी रहेगा। हालांकि अब डीन की नियुक्ति का इंतजार है। शुरुआत में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन को ही चार्ज दिया गया था। बाद में वापस ले लिया गया। तब से डीन की नियुक्ति का मामला लंबित है।

कैंपस में होना है ये निर्माण


कॉलेज निर्माण का दोबारा ठेका गुजरात की कंपनी जेपी इंफ्रा को दिया गया है। कॉलेज परिसर में बाउंड्रीवॉल, सीवर लाइन और पेयजल लाइनों का नेटवर्क भी विकसित किया जाएगा। इसके अलावा कॉलेज की मुख्य बिल्डिंग, स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स, गल्र्स हॉस्टल, ब्वॉयज हॉस्टल, प्रोफेसर क्वार्टर, रेसीडेंट डॉक्टर हॉस्टल, इंटन्र्स हॉस्टल, कमर्शियल सेंटर, फायर फिटिंग आदि बनाए जाएंगे। लाइट के लिए सोलर सिस्टम के उपयोग के अलावा नेचुरल वेंटीलेशन होंगे।

19 विभागों से होना है शुरूआत


एमसीआइ के नाम्र्स अनुसार मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जिसमें 19 विभाग से कॉलेज शुरू होगा। कॉलेज शुरू होने से रेडियो थैरिपी और पीडियाट्रिक सर्जरी की सुविधा भी मिलने लगेगी। अभी इन बीमारियों के मरीजों को इलाज के लिए जिले में कोई सुविधा ही नहीं है। एक हाइटेक ब्लड बैंक की सुविधा भी मिलेगी। इसके साथ ही त्वचा से संबंधित रोगों को इलाज भी छतरपुर में होने लगेगा,अभी स्क्नि के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं है। फोरेंसिक मेडिसिन एंड टोक्सिकोलॉजी विभाग से अपराध विश्लेषण में भी मदद मिलेगी। इसके तहत विभिन्न तकनीकों, औजारों और रसायनों के माध्यम से पदार्थों और विषाक्त पदार्थों का अध्ययन किया जाता है,जो अपराध के कारण को निर्धारित करने में मदद करता है।

ये विभाग होंगे मेडिकल कॉलेज में

छतरपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले मेडिकल स्टूडेंट 19 विभागों की पढ़ाई कर सकेंगे। ये विभाग ह्यूमन एनाटॉमी, ह्यूमन फिजियोलॉजी, जैव रसायन, पाथोलॉजी (रक्त बैंक सहित), माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी,टॉक्सिकोलॉजी सहित फॉरेंसिक मेडिसिन, समुदाय चिकित्सा, चिकित्सा, पेडियेट्रिक्स, मानसिक रोग चिकित्सा, डीरमैटोलॉजी, वेनेरोलॉजी और लेप्रोसी, ट्यूबरकुलोसिस और रेस्पिरेटरी रोग, सर्जरी, ऑर्थोपैडिक्स, रेडियो-डायग्नोसिस, रेडियोशैपी, ओप्थाल्मोलॉजी, दंत चिकित्सक हैं। इन विभागों की पढ़ाई शुरु होने इनसे संबंधित मरीजों को अब इलाज के लिए झांसी,ग्वालियर नहीं जाना पड़ेगा।


फैक्ट फाइल


पुरानी लागत- 216 करोड़ रुपए
लागत- 247.12 करोड़ रुपए
भवन- 13
कैंपस- 35 एकड़
पहले साल प्रवेश- 100 सीट
टीचिंग स्टाफ- 155
कर्मचारी- 1200

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