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चेन्नई

वंचित व आदिवासी समुदाय के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की कवायद, तमिलनाडु के तीस गांवों में देंगे ई-शिक्षा

वंचित व आदिवासी समुदाय के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की कवायद- तमिलनाडु के तीस गांवों में देंगे ई-शिक्षा- बच्चों को कराएंगे तकनीक से परिचित- एकल शिक्षा अभियान के तहत

चेन्नईAug 03, 2021 / 12:09 am

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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चेन्नई. आदिवासी एवं वंचित वर्ग के बच्चों को कम्प्युटर एवं तकनीक से जोड़ने की पहल की जा रही है तमिलनाडु में पहले चरण में ऐसे तीस गांवों के बच्चों को ई-शिक्षा दी जाएगी। एकल शिक्षा अभियान के तहत ऐसे बच्चों को कम्प्युटर का ज्ञान दिया जाएगा। हर गांव में तीन टैबलेट मुहैया करवाए जाएंगे। एकल ऑन व्हील के माध्यम से मोबाइल वैन हर गांव में जाएगी तथा बच्चों को कम्प्युटर की शिक्षा देगी। वन बंधु परिषद के एकल अभियान के तहत तीसरी कक्षा तक के बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इसके साथ ही संस्कारों का बीजारोपण भी किया जा रहा है। गांव-गांव में रथ के माध्यम से भागवत कथा व रामकथा का आयोजन किया जाता है। ग्रामोत्थान के तहत पौधरोपण किया जाता है।
एकल विद्यालय अभियान के तहत एकल विद्यालय एक शिक्षक वाले विद्यालय हैं जो विगत कई वर्षो से उपेक्षित ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्रों में संचालित किये जा रहे हैं। इस अभियान के अंतर्गत ग्रामीण और जनजातीय बच्चे लाभान्वित हुए हैं। इसके तहत बुनियादी शिक्षा, डिजिटल साक्षरता, कौशल विकास, स्वास्थ्य जागरूकता, आधुनिक और उत्पादक कृषि प्रथाओं एवं ग्रामीण उद्यमिता द्वारा आदिवासी और ग्रामीण समुदायों का सशक्तीकरण किया जाता है। कई ट्रस्ट और गैर-लाभकारी संगठनों की भागीदारी से यह अभियान भारत की मुख्य धारा से अलग गाँवों में संचालित गैर-सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा अभियान बन गया है।
आरोग्य कार्यक्रम
इस अभियान के अंतर्गत ग्रामीण विकास के लिये ग्रामोत्थान और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आरोग्य कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आदिवासी और पिछड़े इलाकों को साक्षर बनाने के इस आन्दोलन में एकल विद्यालय अभियान ने बड़ी ऊंचाई हासिल करते हुए विद्यालयों की संख्या एक लाख से ऊपर पहुंचाई है।
राष्ट्रनिर्माण में योगदान
एकल विद्यालय ट्रस्ट बिना सरकारी फंड लिए विद्यालयों को चला रहा है। जिसका राष्ट्रनिर्माण में बेहद अहम और बड़ा योगदान है। वनबंधु परिषद के माध्यम से सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में जहां शिक्षक जाना नहीं चाहते वहां बच्चों को संस्था के एकल विद्यालय के माध्यम से पंचमुखी शिक्षा दी जा रही है।
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दे रहे पंचमुखी शिक्षा
सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में जहां, शिक्षक जाना नहीं चाहते, वहां बच्चों को संस्था के एकल विद्यालय के माध्यम से पंचमुखी शिक्षा दी जा रही है। बच्चे कक्षा 1 से 3 के होते हैं। गांव के ही किसी निर्धारित स्थान पर बच्चों को शिक्षा दी जाती है। इसमें पहला है प्राथमिक शिक्षा, दूसरा बच्चों में संस्कार प्रदान करना, तीसरा स्वास्थ्य जागरूकता, चौथा ग्रामीणों का कौशल विकास व पांचवां अहितकारों के प्रति जन जागरूकता है। ये सारे कार्यक्रम विद्यालय स्तर पर आचार्य, ग्रामस्तर पर ग्राम समिति, प्रखंड स्तर पर प्रखंड समिति, जिला स्तर पर जिला समिति के माध्यम से किए जाते हैं।
– उर्मिला सराफ, साउथ जोन प्रभारी, एकल अभियान।

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