IIT मद्रास के निदेशक की टिप्पणी की हो रही आलोचन
आईआईटी-मद्रास के निदेशक कामकोटि ने अपने वक्तव्य में कृषि और अर्थव्यवस्था में स्वदेशी मवेशियों की भूमिका महत्ता बताई। उन्होंने कार्यक्रम में लोगों से यह अपील की कि उन्हें जैविक खेती पर जोर देना चाहिए और इस काम में मवेशियों की महत्ता पर प्रकाश डाला। गोमूत्र पर कामकोटि की टिप्पणियों की विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों ने तीखी आलोचना की। तर्कवादी संगठन द्रविड़ कज़गम ने कामकोटि पर अवैज्ञानिक मान्यताओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। ‘गोमूत्र के औषधीय महत्व का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं’ द्रविड़ कड़गम के उपाध्यक्ष के पूंगुंद्रन (K Poongundran, vice-president of Dravidar Kazhagam) ने कामकोटि के वक्तव्य की आलोचना करते हुए कहा, “गोमूत्र (Gaumutra) के औषधीय महत्व का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह जानवर का तरल अपशिष्ट है। उनकी टिप्पणी से पता चलता है कि आईआईटी-मद्रास के निदेशक के पास वैज्ञानिक सोच नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के पशु कल्याण विभाग के अनुसंधान केंद्र द्वारा किए गए एक अध्ययन से यह पता चलता है कि गोमूत्र में बैक्टीरिया होते हैं और यह पीने के लिए उपयुक्त नहीं है।”
‘Gaumutra कोई दवा नहीं और कामकोटि…’
डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन (DMK leader TKS Elangovan) ने कहा, “गोमूत्र (Gaumutra) कोई दवा नहीं है और कामकोटि ऐसी बातें कहने के लिए योग्य डॉक्टर नहीं हैं। अगर किसी को कोई समस्या है तो उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।”