फलोदी सट्टा बाजार का इतिहास
फलोदी में सट्टा लगाने की परंपरा सदियों पुरानी मानी जाती है। शुरू में यह मौसम, खासकर बारिश से जुड़ा था। चूंकि यह क्षेत्र शुष्क जलवायु में स्थित है, इसलिए बारिश के पूर्वानुमान पर सट्टा लगाना स्थानीय लोगों के लिए एक रोचक गतिविधि बन गया। लोग इस बात पर दांव लगाते थे कि कोई विशेष नाला बहेगा या नहीं, तालाब भर जाएगा या नहीं, या फिर किसी दिन बारिश होगी या नहीं।
विस्तार और लोकप्रियता
19वीं सदी के अंत तक, यह प्रथा अधिक संगठित हो गई। जब रेडियो पर क्रिकेट मैच की कमेंटरी प्रसारित होना शुरू हुआ तो फलोदी में क्रिकेट पर सट्टा लगना शुरू हुआ। आज के दौर में आईपीएल ने इस बाजार को और बड़ा कर दिया है। 1970 के दशक के बाद, जब चुनावों में जनभागीदारी बढ़ी, तब सट्टेबाजों ने चुनाव परिणामों पर दांव लगाना शुरू किया। लोग चुनावी नतीजों से लेकर क्रिकेट मैच और यहां तक कि साधारण घटनाओं पर भी दांव लगाते हैं, जैसे कि दो बैलों की लड़ाई में कौन जीतेगा।
चुनावी भविष्यवाणी में फलोदी की भूमिका
आज, फलोदी का सट्टा बाजार चुनावी परिणामों का एक अनौपचारिक थर्मामीटर बन गया है, जो चुनावों की गर्मी नापने और बढ़ाने का काम करता है। चूंकि भारत में चुनावी जनमत सर्वेक्षणों के नतीजे बताने पर मतदान खत्म होने तक प्रतिबंध रहता है, इसलिए फलोदी का बाजार राजनीतिक विश्लेषकों और मीडिया के लिए एक प्रमुख संकेतक बन गया है। हालांकि इसका रिकॉर्ड पूरी तरह सटीक नहीं है, लेकिन कई बार इस बाजार ने चौंकाने वाली भविष्यवाणियां की हैं।