हमारे जीवित होने का प्रमाण है संगीत
संगीत केवल गीतों भजनों और वाद्य यंत्रों से उत्पन्न ध्वनि को ही नहीं समझा जाना चाहिए। यह तो सृष्टि के कण कण में व्याप्त है।हमारे शरीर की हर कोशिका में संगीत बजता है। दिल की धड़कन में संगीत है।धमनियों में रक्त प्रवाह का संगीत है। चाल में संगीत है। विचार में संगीत है। कहने का तात्पर्य है कि हमारे जीवित होने का प्रमाण है संगीत।संगीत ही जीवन है तो संगीत ही अध्यात्म है जो कि हमें ईश्वर से जोड़ता है। संगीत की यही समझ उसकी सच्ची परिभाषा है। इस परिभाषा को सब समझ सके तो सार्थक संगीत दिवस है। कहते हैं ना मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा।तभी संगीत सकारात्मक है सुरीला है शांति और आनंददायक है अगर सुर न मिले तो सब कुछ नकारात्मक हो जाता है। जीवन बेसुरा हो जाता है।संगीत दिवस जीवन को सुरीला बनाने का एक सुंदर प्रयास है।
– रेनू आर्या अग्रवाल, गायिका, चेन्नई.
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