vaikuntha ekadashi पर भक्तों ने किए स्वर्ग द्वार के दर्शन, मान्यता… मोक्ष की होती है प्राप्ति
vaikuntha ekadashi वैकुंठ एकादशी के अवसर पर शुक्रवार को तमिलनाडु के वैष्णव मंदिरों में लाखों की संख्या में भक्तों ने ‘परमपद वासल’ (स्वर्ग द्वार) के दर्शन किए। मान्यता है इस शुभ दिन स्वर्ग द्वार के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
vaikuntha ekadashi वैकुंठ एकादशी के अवसर पर शुक्रवार को तमिलनाडु के वैष्णव मंदिरों में लाखों की संख्या में भक्तों ने ‘परमपद वासल’ (स्वर्ग द्वार) के दर्शन किए। मान्यता है इस शुभ दिन स्वर्ग द्वार के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैकुंठ एकादशी पर भक्तों की भारी संख्या तिरुचि के श्रीरंगम के श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर में देखी गई। श्रीरंगम मंदिर को भूलोक का वैकुंठ कहा जाता है, जहां बीती रात से अपार संख्या में भक्तगण जुट गए थे। श्रीरंगम के अलावा पार्थसारथी मंदिर, चिदम्बरम के तिल्लै मंदिर व आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में भी लाखों की संख्या में भक्तों ने स्वर्ग द्वार को खुलते देखा। चेन्नई के पार्थसारथी मंदिर में सुबह लगभग पौने पांच बजे स्वर्ग द्वार भक्तों के लिए खुला।
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में ‘परमपद वासल’ खोलने के बाद भगवान नमपेरुमाल की भव्य सवारी निकाली गई। ‘रंगा रंगा नमपेरुमाल’ के जाप के बीच, रंगनाथस्वामी का जुलूस इस अवसर पर ‘परमपद वासल’ (स्वर्ग का द्वार) से गुजरा। तड़के लगभग 4:15 बजे, श्रीरंगम मंदिर भगवान की उत्सव मूर्ति गर्भगृह से निकली। भगवान नमपेरुमाल रत्न जड़ित कवच, किलिमालै (तोते की माला) और पांडियन मुकुट से सुसज्जित थे।
मोहिनी अवतार में भगवान
मोहिनी अवतार में भगवान की सवारी व्रज नाधि मंडपम में, वैदिक भजनों के पाठ के लिए कुछ समय के लिए रुकी। बाद में, भीड़ के ‘रंगा रंगा’ के उत्साही मंत्रों के उच्चारण ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया। सुबह 5:15 बजे विधिवत रूप से परमपद वासल खोला गया। इसके बाद देवता हजार स्तंभ हॉल में रुके, जहां भक्तों को विशेष दर्शन का लाभ मिला। इसी तरह मदुरै के तल्लाकुलम के पेरुमाल मंदिर में परमपद वासल खोला गया। चेन्नई के पार्थसारथी मंदिर में सुबह लगभग पौने पांच बजे स्वर्ग द्वार भक्तों के लिए खुला।
व्रत का महत्व
वैकुंठ एकादशी उत्सव हिंदू धर्म पंचाग का एक अतिमहत्वपूर्ण और शुभ दिन है, यह उस दिन को चिह्नित करता है जब भगवान विष्णु के निवास वैकुंठ के द्वार खुले माने जाते हैं। इस दिन भक्त भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास और प्रार्थना करते हैं। तिरुपति के तिरुमला िस्थत वेंकटेश मंदिर में भी हजारों की संख्या में भक्त उमड़े और दिनभर स्वर्गद्वार के दर्शन किए।
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