गौरतलब है कि इस साल बारिश औसत रही है। ऐसे में इस बात की आशंका थी कि महानगर में पेयजल संकट गहरा सकता है। लेकिन अधिकारियों के अनुसार ऐसी कोई नौबत नहीं आएगी। राज्यभर में फरवरी महीने तक की हल्की सर्दी और रात के वक्त धुंध से कुछ छुटकारा मिला है। इस छुटकारे के साथ ही तेज धूप ने जनता को सताना शुरू कर दिया है। ठण्ड से अचानक तपाने वाली गर्मी ने लोगों को सोचने पर विवश कर दिया है।
भूजल स्तर
पिछले वर्ष फरवरी की तुलना में इस बार भूजल स्तर में गिरावट के बजाय हल्का सा इजाफा देखा गया है। इस दृष्टि से तमिलनाडु के नागपट्टिनम और शिवगंगा जिला पिछड़ा है। जल संसाधन विभाग के अनुसार इन दोनों जिलों में पानी का स्तर १.५३ मीटर और ०.२६ मीटर तक घटा है। चेन्नई महानगर और निकटवर्ती तिरुवल्लूर और कांचीपुरम जिले के लिहाज से स्थिति बेहतर है। इन दोनों जिले में ०.३७ व १.११ मीटर पानी बढ़ा है। नतीजतन महानगर की प्यास बुझाने वाली झीलों में भी पर्याप्त पानी है।
झीलों का स्तर
चेन्नई महानगर में पेयजल वितरण पूण्डी, चोलावरम, रेडहिल्स व चेम्बरमबाक्कम झीलों के पानी पर निर्भर करता है। फिलहाल (१३ मार्च को) इन चारों झीलों में ५०६१ मिलियन क्यूबिक फीट पानी है। जबकि पिछले साल इसी दिन जलस्तर १५७६ एमसी फीट था।
पूण्डी १९९७
चोलावरम ३३४
रेडहिल्स १३२१
चेम्बरमबाक्कम १४०९
सरकार ने किए उपाय
पिछले बार जलसंकट की स्थिति बनने के बाद से ही चेन्नई मेट्रो वाटर और तमिलनाडु वाटर सप्लाईज एंड ड्रेनेज बोर्ड ने राज्यभर में पेयजल की स्थिति को सुधारने के लिए कुछ योजनाएं बनाई। गौरतलब है कि राज्य में वर्षा जल संचयन को भी लागू किया गया है। पिछले वर्ष के उपायों का फायदा ही शायद इस बार चेन्नई को मिला है। हालांकि यह भी तय है कि अगर बारिश औसत रही तो इस साल के अंत तक पेयजल संकट उबरेगा। मेट्रो वाटर के अधिकारियों के अनुसार गत वर्ष उपनगरीय खदानों, पोरूर झील और खेती के कुओं से भी पानी पम्प कर पेयजल का वितरण किया गया था। इस बार भी जरूरत पडऩे पर इन उपायों को लागू किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि पिछले साल महानगर में गंभीर जलसंकट की स्थिति पैदा हुई थी।