पुलिस ने लाठियां भांजी
बता दें कि रविवार रात मामला इतना बढ़ गया था कि कब्रिस्तान में पुलिस तैनात करनी पड़ी थी। स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध व हंगामा किया था। जिस पर एम्बुलेंस और नगर निगम कर्मियों को दो बार शव को वापस अस्पताल ले जाना पड़ा। बाद में पुलिस की तैनाती की गई। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर किया और लाठियां भांजी जिसके बाद कब्रिस्तान में शव को दफनाया गया।
जमकर हंगामा व विरोध
५५ वर्षीय न्यूरोसर्जन चेन्नई के एक निजी अस्पताल के मुख्य डॉक्टर और निदेशक भी थे। डॉक्टर की बेटी का भी उसी अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, उनकी हालत फिलहाल स्थिर है। वे कीलपॉक के रहने वाले थे। संक्रमण से मौत के बाद शव को कीलपॉक कब्रिस्तान ले जाया गया। कब्रिस्तान में शव दफनाने के लिए तैयारी कर रहे थे। जिसकी जानकारी होते ही टीपी चत्रम के २०० से अधिक लोगों ने विरोध किया और अंतिम संस्कार होने नहीं दिया।
पुलिस के साथ तीखी नोकझोंक
उसके बाद नगर निगम और पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में शव को वेलंकाडु कब्रिस्तान ले गए जहां जानकारी मिलने के बाद गांधी नगर के स्थानीय लोग वहां इक्कट्टा हो गए। स्थानीय लोगों की पुलिस के साथ तीखी नोकझोंक हुई और लोगों ने पुलिस को अपशब्द भी कहें। पुलिस ने पहले तो लोगों को शांत कराया। कब्रिस्तान पर पुलिस तैनात कर दी गई।
अचानक हुआ हमला
देर रात तक स्थानीय लोग भी पहरेदारी कर रहे थे। अचानक लोगों ने पथराव करना शुरू कर दिया। कीलपॉक डीसी एम. मनोहरण और अन्य पुलिस कर्मियों ने लाठियां भांजी और भीड़ को हटाया। कुछ ही देर में अण्णा नगर के डीसी मुत्तुसामी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और पत्थर फेंकने वालों को पकड़ा। पुलिस की देखरेख में परिजनों ने अंतिम संस्कार किया।
पहले भी हुई इस तरह की घटना
यह पहली बार नहीं है जब चेन्नई में किसी के शव को दफनाने को लेकर बवाल मचा है। कोविड-19 से कुछ दिन पहले आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के एक डॉक्टर की एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी और जब उनके शव को श्मशान घाट ले जाया गया तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। पुलिस शव को अस्पताल की मोर्चरी में वापस ले गई और सुबह के समय उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।